दिल दहला देने वाला हादसा, भाई की आंखों की सामने नहर में समाया भाई,पढ़े पूरा मामला
पानीपत,VON NEWS: दिल्ली पैरलल नहर किनारे खड़े होकर बाथरूम करते समय इन्वर्टर मैकेनिक चांद मोहम्मद का पैर फिसल गया। वह नहर में जा गिरा। पास ही बाइक लेकर खड़े बड़े भाई शहनवाज ने हाथ बढ़ाकर बचाने की कोशिश की। छोटा भाई जानता था कि बड़ा भाई तैरना नहीं जानता। कहीं बड़ा भाई भी डूब न जाए, उसने हाथ ही आगे नहीं बढ़ाया। आंखों के सामने 23 वर्षीय छोटा भाई पानी में समा गया। भागकर असंध नाका चौकी पुलिस को लेकर वापस लौटा तो चांद आंखों से ओझल हो चुका था। पुलिसकर्मी सुबह गोताखोरों की मदद से चांद को तलाशने की बात कहकर लौट गए। मंगलवार रात 9:45 बजे हादसा हुआ।
रात भर स्वजन गोताखोरों की तलाश में नहर किनारे स्थित कालोनियों में भटकते रहे। बुधवार सुबह पौ फटते ही 15 हजार रुपये में तीन गोताखोर लेकर नहर पर पहुंच गए। चांद को तलाशते-तलाशते गोहाना रोड ओवरब्रिज तक जा पहुंचे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनके पास आने की जहमत तक नहीं उठाई। साथ आए कालोनीवासियों का पुलिस कार्यप्रणाली पर गुस्सा फूटा तो उन्होंने जमकर विरोध किया। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासनिक अधिकारियों से पुलिस कार्रवाई में तेजी लाने की मांग की। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राजनेताओं से सरकारी गोताखोर मुहैया कराने की भी गुहार लगाई।
रोष बढ़ा तो ली शिकायत, फिर नहर में मिला एक शव
दोपहर साढ़े 12 बजे तक भी पुलिस के नहीं आने पर स्वजन कालोनीवासियों संग असंध रोड चौकी पहुंचे। चौकी के बाहर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जताने लगे तो अधिकारियों ने तुरंत शिकायत लेकर कार्रवाई शुरू कर दी। फिर पुलिसकर्मी चांद को तलाशने के लिए गोताखोरों को लेकर खुबडू झाल तक गए। रास्ते में ढ़ींढार गांव के पास नहर में एक अज्ञात व्यक्ति का शव तैरता मिला तो उसे बाहर निकलवा कर सामान्य अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया।
चार भाइयों में तीसरे नंबर का था चांद, नहीं हुई थी शादी
चांद चार भाइयों में चांद तीसरे नंबर का था। फिलहाल उसकी शादी भी नहीं हुई थी। देर रात चांद के नहर में डूबने की खबर मिलते ही परिवार में चीख पुकार मच गई। बुधवार को दिनभर नहर में ढूंढने के बाद भी चांद का कोई पता नहीं चला तो स्वजन सिर पकड़कर बैठ गए। लोगों का कहना है कि अगर चांद किसी अमीर परिवार का बेटा होता तो नहर किनारे राजनेताओं और पुलिसकर्मियों का तांता लग जाता। लेकिन फिलहाल अधिकारियों के पास पीडि़त परिवार की सुनवाई करने तक का टाइम नहीं है।