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उत्तराखंड के जजों,सरकारी कर्मचारी,मंत्री,विधायक सभी का निजी डाटा प्राइवेट हाथो में गया किसी को खबर नही और पढ़िए इस अधिकारी की 100 करोड़ की संपत्ति की लिस्ट । क्या कोई suo moto संज्ञान लेगा ?
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उत्तराखंड के जजों,सरकारी कर्मचारी,मंत्री,विधायक,पेंशनर सभी का निजी डाटा प्राइवेट हाथो में गया किसी को खबर नही और पढ़िए इस अधिकारी की 100 करोड़ की संपत्ति की लिस्ट । क्या कोई suo moto संज्ञान लेगा ?
देहरादून/दिल्ली : ( मनीष वर्मा ) आपको जानकर अचम्भा होगा कि जो काम सरकार की एजेंसी/सरकार का अंग एनआईसी (NIC) करती थी उसको अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान ने अपने मित्र की निजी कंपनी” इंडस वेब सॉल्यूशन” को दे दिया और टेंडर के नाम पर मात्र खाना पूर्ति की गई जिससे उत्तराखंड की ट्रेजरी से जाने वाली हर माह को तनख्वाह के साथ पूरा सरकारी मशीनरी का डाटा निजी हाथों में पहुंच गया । यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर जुडिशल सिस्टम तक का काम भारत सरकार कि संस्था NIC कर रही है ठीक वही काम उत्तराखंड में निजी हाथो में दे दिया गया
ये तो सभी जानते है कि एक बार आपका अकाउंट नंबर हाथ लग जाए तो हैकर आपकी सारी डिटेल्स जैसे कि आप कहा गए,आपने क्या -क्या खाया ,आपको क्या क्या बीमारी है ,आपने कहां कहां यात्रा की , आपने क्या -क्या शॉपिंग की,आपका बैंक बैलेंस क्या है आपकी प्रॉपर्टी से कितनी आय है , आपकी कितनी एफडी है सब हैकर के हाथ लग सकता है और इतना बड़ा निर्णय अरुणेंद्र सिंह चौहान अपर सचिव द्वारा निजी हाथों में दे दिया गया यानी पैसे भी दिए और डाटा भी दिया । यह इंडस वेब सॉल्यूशन “कंपनी 2.50 करोड़ रुपये सालाना सरकार से ले रही है ”
और यह सर्वविदित है की निजी कम्पनिया आपका डाटा करोडो रुपये लेकर शेयर भी कर देती है और उत्तराखंड में 5 करोड़ भी सरकारी कर्मचारी हुए तो कम से कम 100 रुपये भी प्रति व्यक्ति जोड़ा जाये तो 500 करोड़ रुपये में आपका निजी डाटा भी शेयर हो चुका हो सकता है
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सूत्र बताते है कि इसमें किसी का हिस्सा हो या निजी स्वार्थ हो तभी इतना बड़ा निर्णय लिया गया होगा क्योंकि सरकार,शासन,न्यायालय तक का डाटा जब एन आई सी (NIC) मेंटेन कर सकती है तो निजी कंपनी को ट्रेजरी जैसा सेंसेटिव डाटा निजी हाथों में देने की क्या जरूरत थी ?
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अब देखिए आज का सबसे बड़ा खुलासा : आय से अधिक संपत्ति में लिप्त अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान की 100 करोड़ की संपत्ति का विवरण जिसको सरकार के ही ” गैजेटेड अफसर ” ने उजागर किया है :-
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वॉयस ऑफ़ नेशन ने इस विषय में निदेशक पंकज तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि IFMS प्रणाली यानी फण्ड ट्रांसफर का डाटा मैनेजमेंट Integrated Financial Management System का कार्य अभी भी निजी कम्पनी कर रही है और ” मेरे ज्वाइन करने से पहले का मामला है ”
वतर्मान में आपको बता दे कि कई -कई लाख एवं करोडो रुपये कई कई बार एक ही खाते में चले जाते है यहाँ तक कि इस निजी कम्पनी के विदेशी खाते तक में जाने का पता चला है और सबसे बड़ी बात यह है कि निजी कम्पनी के अधिकतम कर्मचारी उत्तराखंड कि कई ट्रेजरी में बैठे है और उत्तराखंड के बेरोजगार खाली बैठे है
ज्ञात हो की मध्य प्रदेश में भी ठीक इसी तरह का घोटाला किया गया था जिसमें बाद में काफी मुकदमे दर्ज हुए और यह सिस्टम बंद कर दिया गया
उत्तराखंड में हुआ 6 करोड़ का नुकसान
आपको यह भी बता दे कि ट्रेजरी के अफसरों की मिलिभगत से उत्तराखंड में जिन पेंशनरों की मृत्यु हो गई थी उनकी पेंशन उप कोषाधिकारी आदि अधिकारियों द्वारा वर्षो से अपने खाते में डाला जा रहा था और जब मामला सामने आया तो सब सस्पेंड हुए या गिरफ्तार हुए ।