निरस्त होगी गौतम बुद्ध सुभारती चिकित्सा महाविद्यालय की अनुमति ? शासन से बड़े स्तर की एक और जांच कमेटी बनी ।
( वॉयस ऑफ़ नेशन ब्यूरो ) : एक अहम जांच सुभारती एम्टीवीट्रस्ट (MTVT trust)महायान तथागत वज्रायांन बुद्धिस्ट चैरिटेबल ट्रस्ट( पूर्व नाम जगत नारायणसुभारती ट्रस्ट ) द्वारा स्थापित किये गए गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज,देहरादून द्वारा गलत दस्तावेज और प्रपत्रों के आधार पर MBBS कोर्स की अनुमति लेने, सुभारती पर 72 करोड़ की सरकारी देनदारी होते हुए भी एक शपथ पत्र लेकर सरकारी देनदारी को दरकिनार करते हुए MBBS कोर्स की अनुमति देने का प्रमाण पत्र प्राप्त करने, राज्य स्तर की सरकारी कमिटी की रिपोर्ट का संज्ञान लिए बिना प्रमाण पत्र प्राप्त करने, निदेशक चिकित्सा सिक्षा और सचिव अमित सिंह नेगी की सुभारती के खिलाफ दी गयी रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए, बिना हाई पावर कमिटी के अनुमोदन लिए ,MBBS कोर्स की अनुमति का प्रमाण पत्र जारी करने के खिलाफ एक राज्य स्तरीय जांच बैठा कर नोटिस जारी कर दिया गया है।
आपको बता दे कि पूर्व में भी यही गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविदलय का नाम श्री देव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज ने जिसने झूठे दस्तावेजों के आधार पर MBBS की अनुमति प्राप्त की थी जिसे भारी गड़बड़ झाला मिलने पर राज्य सरकार संस्तुति पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था तथा सुभारती पर लगभग 1 अरब रुपए की पेनल्टी लगाई गई थी जिसमे आज भी 72 करोड़ सुभारती ने राज्य सरकार को देने है ।
देखिए जांच समिति का आदेश :
वहीं 2 मार्च 2022 को दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा ने अपने पत्र में शासन को लिखा है कि उक्त प्रकरण में पूर्व से कई मामले राजस्व, जमीनों एवं वित्तीय लेन देन एवम बैंको से संबंधित पूर्व से प्रचलित है जिस कारण यह जांच नितांत आवश्यक है ।
देखिए अपर निदेशक का पत्र :
सूत्रो की माने तो जिस प्रकार सरकारी पत्र में विवादो के संबंध में विवरण दिया गया है और यदि जांच रिपोर्ट और हाई कोर्ट में लंबित बाद का निर्णय कॉलेज के खिलाफ आ गया तो कॉलेज की अनुमति निरस्त की जा सकती है । ज्ञात हो की अभी मॉप अप राउंड की काउंसलिंग बाकी है और इस कॉलेज में वाद- विवाद और पूर्व की स्तिथि को देखते हुए ज्यादा छात्रों ने रुचि भी नही दिखाई है जिसका एक अन्य कारण रास बिहारी बोस सुभारती विश्विद्यालय की संबद्धता इस कॉलेज द्वारा दिखाया जाना है जो इसी ट्रस्ट के पूर्व नाम से बनाया गया था और माननीय नैनीताल हाई कोर्ट में लंबित है ।