पर्व-त्यौहार मकर संक्रांति 2021: इस बार की मकर संक्रांति कितनी शुभ, आप पर पड़ेगा कैसा असर?

VON NEWS: आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. आचार्य कमलनंद लाल के मुताबिक, इसका पुण्य काल मुहूर्त सुबह 8.30 से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. वहीं, महापुण्य काल का मुहूर्त सुबह 8.30 से 10.15 तक का होगा. स्नान और दान-दक्षिणा जैसे कार्य इस अवधि में किए जा सकते हैं.

मकर संक्रांति को महा संक्रांति भी कहा जाता है. इस साल की मकर संक्रांति कई मायनों में खास रहने वाली है. ज्योतिर्विद कमल नंदलाल से जानते हैं कि इस संक्रांति का देश और दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेश करता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है.

ज्योतिष में सूर्य को पिता कहा गया है. सूर्य देव एक साल में 12 राशियों में अलग-अलग समय में भ्रमण करते हैं. इस राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है. संक्रांति शब्द संक्रमण से बना है और संक्रमण का अर्थ होता है एक जगह से दूसरी जगह फैलना. सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में उजाला कर देता है. सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं.

साल में 12 संक्रांतियां होती हैं जिनमें से सबसे खास चार होती हैं. सबसे पहली मेष संक्रांति होती है. इसमें सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से ऋतु परिवर्तन होता है और गर्मी की शुरूआत होती है.

इसके बाद कर्क संक्रांति में ऋतु में परिवर्तन होता है और बारिश का मौसम आ जाता है. तुला संक्रांति यानी जब सूर्य तुला में आता है तब वर्षा ऋतु खत्म हो जाती है और सर्दियों का आगमन होता है. इसके बाद आती है सबसे बड़ी संक्रांति जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है.

मकर संक्रांति से सर्दियां खत्म होने लगती हैं और वसंत ऋतु की शुरूआत होती है. कुल मिलाकर कहें तो साल भर में होने वाला ऋतु परिवर्तन संक्रांतियों के आधार पर होता है. कई जगहों पर मकर संक्रांति को नए वर्ष के तौर पर भी मनाया जाता है.

ज्योतिष में मकर संक्रांति का महत्व– ज्योतिष में मकर संक्रांति को देवी के रूप में माना जाता है और इनके स्वरूप पर बहुत कुछ निर्भर करता है. जैसे कि संक्रांति किस वाहन पर बैठकर आएगी और इसका शस्त्र क्या होगा. उसने क्या कपड़े पहने होंगे. उसका मुख किस तरफ होगा, वो क्या भोजन करेगी और वो किस दिशा से आएगी.

2021 में मकर संक्रांति मंद देवी के रूप में आ रही है. इनकी शवारी शेर है और ये बैठी हुई अवस्था में आएंगी. इनका उपवाहन हाथी होगा. इस साल की संक्रांति अपने बाल अवस्था में हैं. इन्होंने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और कस्तूरी का इत्र लगा रखा है. इनके हाथ में नाग केसर का फूल है.

देवी संक्रांति का वस्त्र गदा होगा और ये सोने के बर्तन नें अन्न खाते हुए आएंगी. मंद नामक देवी संक्रांति का वार मुख उत्तर की और जबकि इनकी दृष्टि उत्तर से ईशान की तरफ होगी. ये दक्षिण दिशा की तरफ गमन करेंगी.

मकर संक्रांति का प्रभाव– इस संक्रांति के प्रभाव से देश में जितनी भी सफेद वस्तुएं हैं जैसे कि चावल, चांदी, दूध और शक्कर इनके दाम बढ़ सकते हैं. वहीं सोने के दाम में भी गिरावट आएगी. ये संक्रांति लोगों के मन में चिंता और डर पैदा करेगी. इस संक्रांति के कारण जो भी सरकार केंद्र या राज्य में है उसके प्रति लोगों का रोष बढ़ेगा.

ज्योतिषी कमल नंदलाल के मुताबिक, इस संक्रांति में शिक्षा देने वाले जैसे कि ब्राम्हण और गुरू वर्ग का सम्मान बढ़ेगा. जितने भी संन्यासी और किसान हैं, उन्हें कष्ट पहुंच सकता है. पश्चिम के देशों के साथ भारत के रिश्ते बहुत मजबूत होंगे जबकि पूर्व के देशों के साथ रिश्ते खराब होंगे. पश्चिम और पूर्व के देशों के बीच शत्रुता बढ़ेगी. वहीं, पड़ोसी देशों से भारत के रिश्ते ठीक-ठाक हो जाएंगे.

दुनिया के केंद्र में इस संक्रांति से हलचल मचने वाली है क्योंकि ये दक्षिण की तरफ बढ़ रही है. दुनिया भर में फैली महामारी में एक महीने के अंदर भारी गिरावट आएगी. ये संक्रांति कुछ मामलों में अच्छी तो कुछ मामलों में मुश्किल भरी रहेगी. खासतौर से शासक वर्ग के लिए ये मकर संक्रांति कई चुनौतियां लेकर आ रही हैं।

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