रद्द होगी सुभारती गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय मेडिकल कॉलेज देहरादून की मान्यता एवं अनिवार्यता प्रमाण पत्र ? हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि धोखे से ली माइनोरिटी इंस्टीट्यूट का दर्जा ।
देहरादून/मेरठ/लखनऊ/दिल्ली ( वॉयस ऑफ नेशन ब्यूरो) : सुभारती मेडिकल कॉलेज की धोखेबाजी की परते न्यायालय के माध्यम से खुलनी शुरू हो गई है और यह सत्य है कि सभी न्याय पालिका दबाव या सिफारिश में काम नहीं करती है,इसका उदाहरण हाल में 12 सितंबर 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिद्ध कर दिया है ।
आपको बता दे कि उत्तराखंड सरकार में रहे तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा सचिव पंकज पांडे ने तत्कालीन मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के अनुमोदन पर एम टी वी टी रिलीजियस चेरिटेबल ट्रस्ट जिसका पूर्व नाम डा जगत नारायण su सुभारती चेरिटेबल ट्रस्ट था और पूर्व नाम के के बी चेरिटेबल ट्रस्ट था और उससे पूर्व नाम श्री श्री 1008 नारायण स्वामी चेरिटेबल ट्रस्ट था, के विषय में माननीय उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय स्पष्ट कर दिया है ।
माननीय न्यायालय ने अपने निर्णय दिनांक 12 सितंबर 2022 जो कि उक्त ट्रस्ट की याचिका संख्या WP C 19316/2020 के अंतर्गत अपने निर्णय में कहा कि उक्त सर्व प्रथम वर्ष 2001 में आम एवं जनरल मेडिकल कॉलेज की अनुमति मिली और माइनोरिटी इंस्टीट्यूट के विषय में सरकारों का गजट नोटिफिकेशन वर्ष 2004 में जारी हुआ जिसके तहत यह व्यवस्था दी गई कि वही संस्था माइनॉरिटीइंस्टीट्यूट माना जायेगा जिसकी स्थापना माइनोरिटी समुदाय के लोगो / ट्रस्टियों ने की हो और जब उक्त ट्रस्ट की स्थापना हुई तो उस समय न तो उसकी ट्रस्टी माइनोरिटी के अंतर्गत आतें थे और न ही उनमें कोई अल्पसंख्यक था तथापि इस ट्रस्ट ने धोखे और गुमराह करते हुए नेशनल कमीशन से बिना राज्य सरकारों को पक्षकार बनाते हुए एक अल्पसंख्यक का प्रमाण एक पक्षीय लिया जो गलत है, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने अधिकवक्ता के माध्यम से न्यायालय में भी इसका घोर विरोध किया और पूर्व में भी संस्था का प्रतिवेदन खारिज कर दिया था क्योंकि इस अल्पसंख्यक संस्था की आड़ में कॉलेज छात्रों से मनमानी फीस वसूलना चाहता था और सरकार का इंटरफेयर हटाना चाहता जिससे मुंहमांगी फीस बटोरना आसान था ।
माननीय उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने अपने निर्णय में लिखा कि। इस संस्था के ट्रस्टी अतुल भटनागर आदि ने अपना धर्म परिवर्तन 2015 में किया और जिसके आधार पर इनको अल्पसंख्यक या अल्पसंख्यक ट्रस्ट/संस्था का दर्जा नहीं दिया जा सकता ।
माननीय उच्च न्यायालय के इस निर्णय से उत्तराखंड के देहरादून में इस संस्था जिसका नाम कई बार अतुल भटनागर, यशवर्धन वीरस्तोगी, ओटानी बंधु आदि द्वारा पूर्व में 300 एमबीबीएस के छात्रों से धोखाधड़ी की गई जो अब शिफ्ट होने के बाद राज्य सरकार पर भार डालते हुए राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे है जिसके एवज में सुभारती पर राज्य सरकार ने 97 करोड़ की पेनल्टी लगाई है (जो अब तक चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिलीभगत के चलते सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है
और वसूलने में विफल रही है ) और ( मंत्री धन सिंह रावत तक की सुनवाई नहीं हो रही है तो और क्या उम्मीद की जा सकती है ( पूरी विस्तार से खुलासा अगली न्यूज में ) , को देखते हुए यह अंदेशा है कि ,क्योंकि उत्तराखंड सरकार ने माइनोरिटी संस्था का एसेंशियलिटी सर्टिफिकेट जारी किया है, जो उच्च न्यायालय ने माना ही नही, जिसका शपथ पत्र भी संस्था ने एसेंशियलेटी सार्टिफिकेट लेते समय दिया था, स्वत : निरस्त हो चुका है, सरकार को सूचना जारी करना शेष है
साथ ही माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड भी मुख्य सचिव उत्तराखंड को जांच समिति गठित करने का निर्देश दे चुका है और जांच समिति को 4 अप्रैल 2022 से 6 सप्ताह में रिपोर्ट मुख्य सचिव सचिव के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल को देनी थी,जिसे सांठ गांठ के चलते सारे सबूत, जमीन, राजस्व,बैंको के कागजात के साथ समिति को दी जा चुकी है जिसमे फर्जी आदमी खड़ा करके करवाई रजिस्ट्री , शासन के G.O . के विपरीत यूनिवर्सिटी की जगह मेडिकल कॉलेज की स्थापना, अनुमति में दिए गए खसरा नंबर के विपरीत अन्य खसरा नंबर का क्रय किया जाना , G.O में निषिद्ध भूमि का उपयोग किया जाना, कोर्ट में विवादित केसों का छिपाया जाना एवं पटवारी,तहसीलदार, डी एम द्वारा विवादो को छुपाते हुए प्रमाण पत्र जारी किया जाना, भू उपयोग परिवर्तन न होना,कृषि भूमि पर नक्शा अस्थाई 3 महीने के लिए लिया जाना और नक्शा की तिथि निकल जाने के बावजूद अनुमति में छुपाया जाना, सरकार के G.O में निषिद्ध पट्टे की जमीन लिया जाना था जमीन का एक चक में न होना शामिल है ।
माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश से अब सुभारती वालो को उत्तर प्रदेश उत्तराखंड में MBBS एवं BDS में वसूली गई अरबों रुपए अवैध फीस वापिस करनी होगी और अंदेशा लगाया जा रहा है जो अरबों रूपये के कर्ज डूबे सुभारती को वापस दे पाना असम्भव होगा । वहीं अल्पसंख्यक के नाम पर विदेशों में बौद्ध धर्म अथवा बुद्धिस्ट मिशनरी से दान के रूप में लाने वाले अनैतिक धन पर भी रोक लग गई है क्योंकि बौद्ध धर्म अपनाकर और बौद्ध बनकर चारों ओर से सिर्फ फीस के डोनेशन के रूप/ बढ़ई हुई फीस जो ली गई थी उसको विदेश भेज कर वहा से सफेद करके वापस लाना था ।
इसी से संबंधित पूरा फर्जीवाड़ा इन लिंक पर एवं न्यूज के अंतर्गत अन्य लिंक क्लिक करके पढ़े :
https://voiceofnationnews.com/subharti-owner-atul-bhatngar-will-be-stand-in-box/
https://voiceofnationnews.com/subharti-jhajraa-scam-busted/
https://voiceofnationnews.com/subharti-land-scam-at-jhajra/
आशा की जा रही है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार के मुखिया और भविष्य में मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे उच्च शिक्षा,चिकत्सा शिक्षा,सहकारिता,स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत जो स्वयं कई आरोपों से घिरे है, इस पर निर्विवाद और न्यायपूर्ण निर्णय लेंगे और अगली बार 527 वोटो की जगह 5 लाख वोटो से अपनी जीत दर्ज करेंगे ।