क्या विज्ञान के पास है आज के समय टूटने वाले युवा दिलों का इलाज
नई दिल्ली VON NEWS : दिल के टूटने के प्रभाव कई बार बहुत गंभीर होते हैं। संबंधों का विच्छेद, किसी अपने का इस दुनिया से चले जाना या ऐसे ही कई क्षण इंसान को तोड़ देते हैं। ये पल मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लक्षणों की एक श्रृंखला को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। ये अरुचि, अनिद्रा से लेकर अवसाद तक किसी भी चीज का कारण बन सकता है।
ब्रोकन हर्ट सिंड्रोम की चरम अवस्था में भावनात्मक सदमे के बाद एक शख्स का हृदय उचित ढंग से खून को पंप करना बंद कर देता है। इसके चलते मृत्यु तक हो सकती है। हालांकि, इस मामले में हालिया शोध बताते हैं कि हम इसे रोकने में सक्षम हैं। विज्ञान इससे बचने और ऐसे दौर से उबरने के रास्ते सुझाता है।
यह अपनाई प्रक्रिया
मार्च में आए स्पेनिश अध्ययन में सामने आया है दिल के टूटने से पैदा होने वाली दर्द भरी यादों को रोकने में एनेस्थीसिया का प्रयोग पीड़ानाशक सिद्ध होता है। एक प्रयोग के दौरान दिल टूटने से परेशान लोगों को उनकी व्यथित कहानी को याद करने के तुरंत बाद दवा के साथ इंजेक्ट किया गया और 24 घंटे बाद उसे फिर से वही सब याद करने के लिए कहा गया तो उन लोगों ने अपनी स्मृति को कम स्पष्ट पाया।
यह है “मुख्य लक्ष्य”
इस शोध का मुख्य लक्ष्य पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के लक्षणों को दूर करना था। हालांकि, यह भी लगता है कि दवा का इस्तेमाल अन्य परेशान करने वाली यादों को दबाने के लिए भी किया जा सकता है। अप्रत्याशित नुकसान जैसे दिल का टूटना दर्दनाक हो सकता है, लेकिन कुछ लोग इसी से मिलते-जुलते लक्षणों को बताते हैं। मैडिड के तकनीकी विश्वविद्यालय के डॉ. ब्रेयन स्टेंज और उनके साथियों ने इस अध्ययन को किया है।
दिल को शांत करने वाले एप
पिछले साल दिल टूटने के दर्द को शांत करने के लिए मेंड, आरएक्स ब्रेकअप और ब्रेकअप बॉस एप्स की श्रृंखला जारी की गई। इनमें मार्गदर्शन, सलाह और ध्यान भटकाने वाली गतिविधियों को शामिल किया गया। 2017 में आए अध्ययन में इसी तरह की मस्तिष्क प्रशिक्षण शैली के अभ्यास से आत्म नियंत्रण को बढ़ाकर आवेग के पश्चात के व्यवहार को भी रोका गया।
मस्तिष्क में यहां हुई हलचल
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