उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार्ट 2 : जिस IAS पर विजिलेंस ,DOPT जांच और भ्रष्टाचार का आरोप ,उसी पर विभाग भी । मुख्य सचिव लाचार
देहरादून : वॉयस ऑफ नेशन ने पिछले समाचार में इस मुद्दे को जनता तक पहुंचाया और विभिन्न RTI के माध्यम से दून से दिल्ली तक पानी गहन पड़ताल भी की पर भ्रटाचार इतनी चरम सीमा पर पहुंच गया है और ऊपर तक सब इस कदर इसमें डूबे है की कोई सुध ही नही ले रहा क्योंकि उन्हे लगता है की ऐसा मौका दुबारा न मिले यही नहीं बुला बुला कर आवाज लगा लगा कर यूनिवर्सिटी देने की बाते भी सामने आ रही हे जबकि पुरानी मामले ही अभी नहीं सुलझे बल्कि और उलझते जा रहे है । सचिव ,अपर सचिव , उप सचिव सब मिलीभगत किए खेल खेल रहे है विभागीय मंत्री धन सिंह रावत ने 5 साल पहले मंत्री बनते ही बयान दिया था की जांच करेंगे पर वो जांच शुरू ही नही हुई या मंत्री चुप हो गए ।
सुनिए और देखिए मंत्री जी ने 2017 में क्या कहा था और अब 2022 आ गया :
आपको बता दे की सारे सबूत और आरटीआई में जानकारी प्राप्त करने एवम प्रकाशित करने के बाद भी अब तक कोई कारवाही नही हुई है जिससे पता चलता है कि उच्च स्तर manipulation करने वाले अधिकारियों के कारनामों पर कोई एक्शन लेने में अक्षम है और जीरो टॉलरेंस शांत हो गया है
प्रधान मंत्री कार्यालय को भेजी शिकायत जो की उत्तराखंड सरकार को पीएमओ से भेजी गई जिसे सरकार ने विजिलेंस को मैप किया उसपर अभी तक कोई करवाही नही है और होगी भी क्यों क्योंकि सभी एक थाली के है और कारवाही क्यों करेंगे वंही DOPT मंत्री ने भी जांच के आदेश मुख्य सचिव को दिए पर पत्रावली घूम फिर कर सेक्शन में ठंडी हो गई जिससे स्पष्ट है उत्तराखंड का क्या हाल सबने मिल कर दिया है ।जनता का कहना है कि आ रहा है चुनाव जिसमे जनता जल्दी सब पर्दाफाश करेगी और आचार संहिता लगने का इंतजार मीडिया भी कर रहा है ।
निर्णय जनता को लेना हैं कि विभाग और चिकित्सा शिक्षा निदेशक के पूर्ण भ्रटाचार और भारी अनियमितताएं एवं मानक पूर्ण न होने के खुलासा करने के बाद भी कि साथ न तो संस्था के पास भूमि है और न भवन और न हॉस्पिटल क्रियाशील है , के बावजूद भी एन एच घोटाले के आरोपित अफसर को विभागीय सचिव बनाने के साथ सूचना जैसा अहम विभाग भी दे दिया गया जबकि प्रधान मंत्री कार्यालय से लेकर राज्य सरकार की विजिलेंस विभाग को जांच दी गई तथा केंद्र से विभागीय मंत्री द्वारा मुख्य सचिव को तत्काल उचित करवाही की हिदायत भी दी गई फिर भी अभी तक उक्त अधिकारी पंकज पांडे को हटाया नहीं गया । पूरा मामला प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत करवा दिया गया है और यहां तक पता लगाया जा रहा है की तत्कालीन गवर्नर बेबी रानी मौर्य ने किन परिस्थिति में एन एच घोटाले की जांच वापिस लेने के आदेश किए