सर्दियों में पाला पड़ने पर गोमूत्र बन सकता है फसल की ढाल, जानिए वजह!
भोपाल,VON NEWS: सर्दियों के दिनों में पाला फसलों को बर्बाद कर देता है, लेकिन अब चिंतित होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, फसल को पाले की मार से बचाने में गोमूत्र भी ढाल की तरह काम कर सकता है। कृषि विज्ञानी भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पाले से फसलों को बचाने का जैविक पद्धति का यह उपचार सुरक्षित और कारगर है। इसमें पानी में 20 फीसद गोमूत्र मिलाकर फसलों पर छिड़काव करना होता है।
कृषि विशेषज्ञ और पूर्व संचालक (कृषि) डॉ. जीएस कौशल बताते हैं कि पाले से आलू, टमाटर, चना और सब्जियों की फसलें सबसे जल्द प्रभावित होती हैं। फसलों को बचाने के लिए कई किसान उन पर पानी में सल्फ्यूरिक एसिड मिलाकर छिड़काव करते हैं। यह प्रक्रिया जोखिम भरी है। एसिड की मात्र अधिक होने पर फसल नष्ट हो सकती है। इसके बजाय 80 लीटर पानी में 20 लीटर गोमूत्र मिलाकर फसल पर छिड़काव कर उसे पाले से बचाया जा सकता है।
डॉ. कौशल के मुताबिक गोमूत्र में 32 तरह के तत्व होते हैं। इनमें यूरिया, यूरिक एसिड, नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, तांबा, लौह, फास्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैंग्नीज, कैल्शियम, काबरेलिक एसिड आदि प्रमुख हैं। गोमूत्र का छिड़काव पाले से बचाव के लिए पत्तियों पर कवच की तरह काम करता है।
कृषि विज्ञान केंद्र सेवनिया, जिला सीहोर के प्रभारी और कृषि विज्ञानी डॉ. जेके कनौजिया बताते हैं कि पाले से फसल को बचाने के लिए पानी का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। पानी में गोमूत्र मिलाकर छिड़काव करना किसानों के लिए सोने पर सुहागा की तरह है। गोमूत्र से फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।