कोविड और नया वेरिएंट बढ़ते क्रम में । न्यायालयों में आदमी पर आदमी चढ रहा । पैर रखने की जगह नही । सुप्रीम कोर्ट खामोश ?

कोविड और नया वेरिएंट बढ़ते क्रम में । न्यायालयों में आदमी पर आदमी चढ रहा । पैर रखने की जगह नही । सुप्रीम कोर्ट खामोश ।

देहरादून : देश भर में कॉविड और उसके नए वेरिएंट ओमीक्रोन तो सक्रिय हैं ही पर डेल्टा वेरिएंट भी साथ में अपने पांव पसार रहा है तथा कई राज्यों में यह बढ़ता ही जा रहा है यहां तक स्तिथि सामने आई है कि जिनको दोनो डोज लग चुकी है उनको भी इस वायरस ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है ।


राज्यों के मुखिया ने अपने शीर्ष अधिकारियों से WHO, केंद्रीय अधिकारियों और ICMR के  इशारे पर और इसकी बढ़ती संभावनाओं के चलते मौके और स्तिथि का जायजा लेते हुए दैनिक रुपं से आ रही रिपोर्टों के चलते नाइट कर्फ्यू लागू कर दिया है और दिल्ली में तो येलो अलर्ट के बाद अब  अंबर और ऑरेंज अलर्ट की स्तिथि तक लागू होने की स्तिथि बताई जा रही है । वही महाराष्ट्र ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है साथ ही उत्तराखंड में आज आए सर्वाधिक 88 कोविड और कुल 8 ओमीक्रोन्न के मामलो ने प्रदेश को चिंता में डाल दिया है क्योंकि भारी चिंता इस लिए हो गई है कि आज आए मामलो में 15,23 एवम 28 वर्ष के युवा शामिल है ।
 आपको यहां बता दे कि अलग अलग स्टेज के हिसाब से येलो,अंबर , ऑरेंज  और रेड अलर्ट की घोषणा की जाती है जिसमे विभिन्न प्रिकॉशन लिए एवम लेने की एडवाइस जारी की जाती है और क्योंकि चुनाव भी सर पर हैं इसलिए शायद राजनीतिक पार्टियां अपनी सत्ता रूपी लालसा और राजनीतिक गोटी चलाने के लिए शायद उतना निर्णय न लें पाए जैसा की हरिद्वार कुंभ के दौरान हुआ था और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को कुंभ सहित अन्य आरोपो एवं हाई कोर्ट द्वारा एफ आई आर दर्ज करने और सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के नाते अपनी कुर्सी गवानी पड़ीं थी और आज कुंभ घोटाले के आरोपी जेल में हैं ।
बरहाल राजनीतिक उठा पटक तो चलती रहेगी पर जनता का विश्वास अब राजनीतिक पार्टियों से उठ गया है और पिछली बार की तरह सबकी आंखें और आस अब माननीय सुप्रीम कोर्ट  की ओर है कि माननीय न्यायलाय क्या निर्णय लेता हैं क्योंकि जनता यह सोच कर हैरान है की जब कोरॉना के सैकड़ा मरीज भी देश में नही थे तो घंटे ,घड़ियाल ,दीपक और थाली बजवा दी गई थी और लॉकडाउन की घोषणा की गईं थी और जब इसका सबसे खतरनाक वेरिएंट डेल्टा और ओमीक्रोन देश में हजार पार गया तो सरकार चुप क्यों है ? जबकि दोनो डोज लगे हुए व्यक्तियों को भी यह प्रभावित कर गया ।
उत्तराखंड में तो नया साल मनाने पूरे देश से और विदेशो से भी लोग आए हुए है और निश्चित ही उनमें से जो संक्रमित रहे होंगे  उन्होंने कितने लोगो को प्रभावित किया होगा इसलिए आज यह स्तिथि हुई हैं जिसे कोई समझ नही रहा है अलबत्ता सिर्फ ड्यूटी और खानापूर्ति निभाई जा रही है धरातल पर ट्रैकिंग सिस्टम नही दिख रहा है । मेले चल रहे हैं , राजनीतिक रैलियां चल रही है ,धरने प्रदर्शन , हड़ताल चल रही है पर सब राजनीतिक गोटिया सेक रहे है आम जनता का किसी को ध्यान या फिक्र नहीं और होगी भी क्यों ? क्योंकि इसी हफ्ते आचार संहिता लगने वाली है  और सब विधायक ,मंत्री उसके बाद पैदल हो जायेंगे और दुबारा बने न बने इसकी चिंता उनको नही है क्योंकि 5 साल सब अपना काम कर चुके है ।
देश में 3 विभाग ऐसे है जो देश चलाते हैं ,कार्य पालिका ,न्याय पालिका और व्यवस्थापिका अब इनके कार्यों को तुलना करे तो व्यवस्थापिका तो राजिनिक घेरे में काम में व्यस्त हैं यानी चुनाव में ( जिन राज्यों में चुनाव सर पर है ) अन्यथा भी राजनीतिक दबाव में ही कार्य करती है तथा कार्यपालिका के बारे में राजनीतिक पहलू दिखता है सबसे अहम और निर्विवाद न्यायपालिका है जिनपर आरोप प्रत्यारोप कोई नही कर सकता पर आज की स्तिथि कुछ राज्यों में खासकर उत्तराखंड के देहरादून को बात करे तो छोटे छोटे न्यायालय के कमरे है जिसमे 20 लोग भी ठीक से नहीं आ सकते और जब कोई जज छुट्टी पर हो तो उनके न्यायालय का कार्य दूसरे न्यायालय को दे दिया जाता है ऐसे में उस 15 गुणा 20 के न्यायालय की स्तिथि यह हो जाती है कि आदमी पर आदमी चढ़ा दिखता है और उसमे भी उस न्यायालय में जज साहब का डायस और बंदियों के खड़े होने का केबिंबक साथ ए पी ओ और स्टाफ के बैठने की जगह भी शामिल है , तो कोरोना ही क्या डेल्टा और ओमीक्रोन भी बढ़ेगा ही । हालंकि ये हाल तब तक है कि जब तक नई बिल्डिंग बन कर तैयार न हो जाए पर तब तक क्या जनता संक्रमण से बच पाएगी ? यह एक बड़ा सवाल अपने आप में हैं साथ ही जान है तो जहान है वाली कहावत चरितार्थ हो पाएगी ? 
अब बात तो सारी कह समझ ली और माननीय न्यायालय को क्या समझाना ?  पर इतना जरूर कहना है कि इस वेरिएंट को जितना खतरनाक कहा गया है वो हम यहां लिख कर भय का माहौल नहीं बनाना चाहते और आशा करते है कि दुर्घटना से सावधानी बड़ी वाली कहावत जल्दी ही चरितार्थ होगी ।

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