देहरादून की इस यूनिवर्सिटी में बंट रही B.ed की फर्जी डिग्री । देखिए सबूत के साथ NRC-NCTE तथा UGC का निर्णय ।
देहरादून की इस यूनिवर्सिटी में बंट रही B.ed की फर्जी डिग्री । देखिए सबूत के साथ NRC-NCTE तथा UGC का निर्णय ।
देहरादून : अभी हाल ही में संसद में प्रश्न पूछा गया कि संज्ञान में आया है कि कई निजी यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्रीया बाँट रही है जिसपर देश के शिक्षा मंत्री के द्वारा बताया गया कि सब शिकायतों को केंद्रीय सतर्कता आयोग को एवं अन्य एजेंसियों को भेज दिया गया है जो सबकी फ़ेकल्टी/टीचर सहित संपूर्ण जाँच करेंगे परंतु आप यह अंदाज़ा लगाये कि आप B.ed पढ़ कर और डिग्री लेकर जा चुके हों और आपकी सरकारी या निजी नौकरी लग गई हो और अब आपको पता चले कि आपकी तो डिग्री ही नक़ली है तो क्या होगा ?
जी हाँ, ऐसा ही कुछ मामला देहरादून में विवादित रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के साथ रहा है जिसने पहले तो 2017-18, 2018-19 में MBBS course की फर्जी डिग्रिया 300 छात्रो को बाँटी और विवाद इतना गहराया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पढ़ा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से DGP उत्तराखण्ड ने कॉलेज को सील किया और राज्य सरकार की 32 सदस्यों वाली निरीक्षण कमेटी की सिफ़ारिश पर श्रीदेव सुमन सुभारती कॉलेज को बंद कर दिया गया और सुभारती पर 97 करोड़ की पैनल्टी लगाई गई आगे भविष्य में कोई भी मेडिकल कोर्स चलाने के लिए प्रतिबंधित किया गया और डीएम देहरादून को रिकवरी जारी की, अंततोगत्वा राज्य सरकार को उन छात्रों को अपने सरकारी मेडिकल कॉलेजो में शिफ्ट करना पढ़ा ।
अब ऐसा ही ऐसा ही एक और बड़ा फर्जीवाडा सामने आया है जो “उत्तरांचल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन “ संबद्ध रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के नाम पर हो रहा है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त “ UTTRANCHAL COLLEGE OF EDUCATION “ की अनुमति एनसीटी ( राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद, भारत सरकार ने 2006 में दी एवं नवीनीकरण 2015 में अनुमति सिर्फ़ एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी से संबद्ध होने के कारण प्रदान कि थी परंतु 2016 में रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी बनने के बाद वर्ष 2021 में इस यूनिवर्सिटी ने NCTE को नाम एवं सम्बद्धता बदलने हेतु आवेदन किया पर NCTE की केंद्रीय समिति की 383 वी बैठक जो दिनांक 31.10.2022 में रास बिहारी बोस सुभारती यूमिवर्सिटी को नाम बदलने एवं अपनी निजी यूनिवर्सिटी की डिग्री देने पर पाबंदी लगा दी । यानी इस यूनिवर्सिटी ने 2016 से आज तक जो अपने निजी नाम से बीएड की डिग्री दी वो सब नक़ली हो गई ।
केंद्रीय काउंसिल का महत्वपूर्ण तर्क यह था कि UGC के मानक अनुसार कोई भी निजी विश्विद्यालय प्रोफ़ेशनल या टेक्निकल, मेडिकल कोर्स की डिग्री स्वयं नहीं दे सकता अर्थात् सरकारी यूनिवर्सिटी की डिग्री ही मान्य होगी ।
निजी विश्विद्यालय राज्य में खोलने का यह मतलब कदापि नहीं है कि आप केंद्रीय कौंसिल के प्रोफेशनल,टेक्निकल,मेडिकल और शिक्षक कोर्स के लिए बनाये नियम क़ानून तोड़ कर स्वयं उनके कोर्स की डिग्री देने लग जाये ।
वही जब एचएनबी गढ़वाल विश्विद्यालय की वेबसाइट पर संबद्ध कॉलेजो की लिस्ट देखी गई तो उसमे भी उत्तरांचल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन , प्रेमनगर देहरादून का नाम नहीं पाया गया ।
इधर धड़ल्ले से B.ed सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्स चलाये जा रहें है और प्रोफेशनल,मेडिकल और टेक्निकल कोर्स की डिग्री बाँटी जा रही है
UGC से इस सबंध में RTI में जानकारी माँगी गई तो UGC ने भी इस संबंध में स्पष्ट कर दिया कोई भी सामान्य कोर्स अपने कैंपस में रेगुलर मोड में निजी यूनिवर्सिटी द्वारा चलाया जा सकता है पर किसी भी निजी यूनिवर्सिटी को प्रोफेशनल,मेडिकल तथा टेक्निकल कोर्स स्वयं चलाने की इजाज़त नहीं है जब तक कि वो स्वयं उसी नाम से जिस नाम से यूनिवर्सिटी संचालित है उसी नाम से केंद्रीय काउंसिल का निरीक्षण करवाकर अनुमति न ले लें परंतु यहाँ पर माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं राज्य सरकार द्वारा बंद किए जा चुके श्री देव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज के नाम से पैरामेडिकल , केशरी चंद के नाम से फार्मेसी, उत्तरांचल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन के नाम से बी एड और 2012 में बंद किए जा चुके नारायण स्वामी कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग (INC के द्वारा भी नाम बदलना मना किया जा चुका होने के बावजूद भी ) के नाम से कोर्स चलाये जा रहे है और रास बिहारी बोस सुभारती विश्विद्यालय की फर्जी डिग्री थमाई जा रही है । जिसका खुलासा भी कुछ दिन पूर्व वॉयस ऑफ़ नेशन ने किया था ।
UGC से RTI में प्राप्त सूचना
अब देखना यह है कि उक्त सब तथ्यों को दरकिनार कर गहन निन्द्रा मग्न में उच्च सिक्षा और चिकित्सा सिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और प्रदेश सरकार और सम्बन्धित अधिकारी क्या कार्यवाही करते है ? और उन छात्रो का क्या होगा जो अगर डिग्री ले गए और जो पढ़ रहे है उनके नुक़सान की भरपाई कौन करेगा ?
समाचार लिखे जाने के समय तक भी NCTE-NRC द्वारा रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी को कोई अनुमति नहीं दी गई है अपितु NCTE के मानको के अनुसार 6 शिक्षक NCTE के मानको के अनुरूप न पाए जाने के कारण तथा अन्य महत्वपूर्ण नियम एवं मानक जैसे निर्विवादित संपति, नक़्शे आदि पूर्ण न करने के कारण NCTE द्वारा पूर्व में एचएनबी यूनिवर्सिटी से संबद्ध होने के चलते जो अनुमति दी गई थी उसको वापस लेने का नोटिस जारी कर दिया है ।