रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी को यूजीसी ने डिफ़ॉल्टर लिस्ट में डाला । केंद्रीय कौंसिल की मान्यता की जाँच भी विजिलेंस ने शुरू की । रास बिहारी बोस सुभारती के नाम से नहीं है कोई भी अनुमति । छात्रों के भविष्य से फिर हुई खिलवाड़ ।
पूर्व में भी 300 MBBS के छात्रों के भविष्य से हुई थी इसी यूनिवेसिटी के नाम पर खिलवाड़ और राज्य सरकार ने 97 करोड़ की लगाई है पेनल्टी और ज़िलाधिकारी देहरादून को दिया था रिकवरी आदेश ।
रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी को यूजीसी ने डिफ़ॉल्टर लिस्ट में डाल दिया हैं। केंद्रीय कौंसिल की मान्यता की जाँच भी विजिलेंस ने शुरू की । रास बिहारी बोस सुभारती के नाम से नहीं है कोई भी अनुमति । छात्रों के भविष्य से फिर हुई खिलवाड़ ।
रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी की वेब साइट पर govt aprooval के स्थान पर सभी केंद्रीय काउंसिल के अनुमति पत्र देखने पर पता चलता है कि कोई भी अनुमति रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के नाम से नहीं है जबकि नियमानुसार निजी विश्वविद्यालय बनाने के बाद उसको अपने नाम पर सभी केंद्रीय काउंसिल के अनुमति लेनी आवश्यक होती है तभी डिग्री वैलिड मानी जाती हैं। अपितु माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद किए जा चुकी संस्था से नाम से चलाया जा रहा है जिसे राज्य सरकार बैन कर चुकी है जैसे कि b.ed , नर्सिंग,फार्मेसी को तो 2013 में ही माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर कार्यवाही की जा चुकी हैं फॉर्मेसी की शासन की पत्रावली में कॉलेज पहले ही लिख कर दे चुका हैं कि कोर्स बंद कर दिया गया है और श्रीदेव सुमन सुभारती मेडीकल कॉलेज तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बंद करते हुए छात्रों को शिफ्ट कर दिया था तो फिर कैसे संचालित हो रहा है? यह बड़ा प्रश्न है।
यानि पढ़ने वाले या पढ़ कर जाने वाले छात्रों की डिग्री फिर संदेह के घेरे में है।
पूर्व में भी 300 MBBS के छात्रों के भविष्य से हुई थी इसी यूनिवेसिटी के नाम पर खिलवाड़ और राज्य सरकार ने 97 करोड़ की लगाई है पेनल्टी और जिलाधिकारी देहरादून को दिया था रिकवरी आदेश ।
देहरादून : पहले तो राज्य में हरीश रावत सरकार में कैबिनेट को गुमराह और फिर न्यायालय से संपति विवाद्व के दौरान स्टे के बावजूद कांग्रेस सरकार के ग़ैरसैण् के अंतिम सत्र में भाजपा के घोर विरोध के बाद भी विवादित रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी को मान्यता दिया जाने को माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में चुनौती दी गई और विवादित संपति होने के चलते मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच ने केस के मेरिट पर निर्णय करने के आदेश दिये हुए है देखे आदेश :-
जो अभी माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में लंबित है इसी बीच इस रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी ने श्री देव सुमन सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज नाम से 300 छात्रो को MBBS की डिग्री दे दी
और सारा फर्जीवाडा और न्यायालय में चल रहे केसो के सच्चाई जानने के बाद छात्रो एवं अभिभावको ने माननीय सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जहां राज्य सरकार से उनका जवाब माँगा गया और राज्य सरकार की ओर से 3 IAS अधिकारियो सहित अपर सचिव,चिकित्सा सिक्षा तथा विशेष कमिटी के अध्यक्ष डा नवीन थपलियाल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखण्ड सरकार के अपर महाधिवक्ता जे के सेठी ने हलफ़नामा दाखिल करते हुए उक्त यूनिवर्सिटी की मान्यता को फर्जी साबित करते हुए कहा कि इस विश्विद्यालय को एमबीबीएस की परीक्षा करवाने का कोई अधिकार नहीं है और इससे एवं इस ट्रस्ट संबंधित संपत्ति विवादित है एवं कई न्यायालयों में वाद प्रचलित है ।
देखे माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश :-
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सभी पहलुओं का अध्ययन करते हुए यहाँ के 300 एमबीबीएस के छात्रों को शिफ्ट करने के आदेश दिए थे वही राज्य सरकार ने उक्त संस्था पर 97 करोड़ की पेनल्टी लगाते हुए ज़िलाधिकारी देहरादून को 97 करोड़ वसूलने के रिक्वरी आदेश जारी किए थे ,
देखें राज्य सरकार का रिकवरी नोटिस और उत्तराखण्ड में चिकित्सा से संबंधित कोर्स खोलने के लिए हमेशा के लिए प्रतिबंधित करने का आदेश :-
आज तक संस्था ने उक्त पेनल्टी का भुगतान नहीं किया है मात्र 15 करोड़ ही भुगतान हो पाया है और बाक़ी 72 करोड़ अभी राज्य सरकार को वसूलने है ।
तथा अब केंद्र सरकार को यह भेद भी सबूत के साथ पता चल गया है कि यही वह प्रतिबंधित संस्था है जो अब नाम बदल कर गौतम बुद्ध चिकित्सा मेडीकल कालेज झाझरा चकराता रोड देहरादून में चला रही है यानि सारा फर्जीवाडा सामने आ गया है जिसके चलते कुछ ही दिनों में बड़ी कार्यवाही देखने को मिल सकती है इसी कारण इस कॉलेज ने अपनी वर्तमान वर्ष की मान्यता का पत्र भी वेबसाइट पर नहीं डाला है क्योंकि NMC से show cause notice जारी हुआ हुआ है।
वहीं हाल में ही इसी संस्था पर STF UP के ADG अमिताभ यश ने UGC NET परीक्षा में सरे आम नक़ल करवाते हुए छापा मारा था और इस संस्था के कई लोगो को गिरफ़्तार किया था।
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पिछले माह महानिदेशक चिकित्सा सिक्षा उत्तर प्रदेश ने उक्त संस्था के MBBS के एडमिशन में अल्पसंखयक के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर एडमिशन करने पर समस्त एडमिशन निरस्त कर दिये थे
यह भी पढ़ें :- अल्पसंख्यक कोटे से MBBS एडमिशन में बड़ा घोटाला सामने आया है। डॉक्टर बनने के लिए कैंडिडेट्स ने बौद्ध धर्म अपना लिया। जिलों से बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट भी बनवा लिया।
और अब सूत्रों के अनुसार NMC सहित अन्य एजेंसिया उत्तराखण्ड में विवादित और शिकायतें मिलने एवं सत्यापित होने के दौरान यहाँ कि मान्यता और परीक्षाओं पर रोक एवं निरस्तीकरण हो सकता है और डिफ़ॉल्टर लिस्ट में रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी का नाम आ गया है तथा UGC की वेबसाइट पर आगे की जाँच के लिए समिति का जवाब माँगा गया दिखाई दे रहा है ।
वही 30 अक्टूबर 2024 को Gautam budh Chikisa Mahavidyalay झाजरा, देहरादून में हॉस्टल में घुस कर एमबीबीएस के छात्र “पंत “ को कई बार पेट में चाकू घोंप कर मरणासन्न की अवस्था मी पहुचाने कि घटना से छात्रों के माता पिता स्तब्ध एवं डरे हुए है और माता पिता के बयान के अनुसार वे यहाँ से छात्रों को शिफ्ट करने की अर्ज़ी माननीय न्यायालय में लगाने जा रहे है ।
आपको बता दे की राज्य सरकार ने न्यायालय में लिखित में दे दिया है कि उक्त संस्था के नाम कोई भूखंड नहीं है और कई विवाद लंबित है और 97 करोड़ वसूले जाने है और MCI के नियमानुसार मानक भी पूर्ण नहीं है।
स्पष्ट जानकारी प्राप्त है कि हीलाहवाली और ग़लत रिपोर्ट देने के चलते उत्तराखण्ड के 4 अधिकारियो के ख़िलाफ़ संगीन धाराओ में मुक़दमा दर्ज होने की कार्यवाही गतिमान हो गई है और अब उक्त अधिकारी अपनी जान बचाने हेतु इस संस्था के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करवाने की कार्यवाही कर रहें है जिससे वो पाक साफ़ होकर बच जाए ।
वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित एक बहुत बड़ा मामला भी विडियो सहित जल्दी प्रकाशित किया जाएगा जिसमें सरकारी दफ्तर में चल रहे बड़े ” रैकेट ” सहित कई “बड़े ” कारनामों का खुलासा होगा