उत्तराखंड सचिवालय अपर सचिव ने किया नियुक्ति घोटाला
अरुणेंद्र सिंह चौहान द्वारा अपने खास व्यक्ति को शाशनादेश के विपरीत बिना मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिए नियुक्ति प्रदान कर दी ।
देहरादून : वॉयस ऑफ नेशन (मनीष वर्मा ) आपका अपना लोकप्रिय न्यूज चैनल वॉयस ऑफ नेशन समय समय पर भ्रष्टाचार के खुलासे कर मुख्यमंत्री और सरकार तक पहुंचाता रहा है
इसी क्रम में आज वॉयस ऑफ नेशन बड़ा खुलासा कर रहा है की किस प्रकार भ्रष्ट अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा अरुणेंद्र सिंह चौहान द्वारा अपने खास व्यक्ति को शाशनादेश के विपरीत बिना मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिए नियुक्ति प्रदान कर दी ।
अरुणेंद्र सिंह चौहान की करतूत और ढीठ पने की हद्द देखिये जिसका पूर्ण विवरण इस प्रकार है
उत्तराखंड शासन चिकित्सा शिक्षा अनुभाग 1 सचिवालय देहरादून के द्वारा 31 अगस्त 2017 को चंद्र भान सिंह ,अन्वेषक तकनीकी ,जिला ग्राम विकास अधिकरण ,मिर्जापुर उत्तरप्रदेश को सीधे तौर पर प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर दिया गया और उक्त पद को प्रतिनियुक्ति से भरने हेतु विभाग द्वारा न तो कोई विज्ञापन प्रकाशित किया गया और न ही चंद्रभान सिंह के पैतृक विभाग से उन्हे प्रतिनियुक्ति पर तैनात करने हेतु कोई अनुरोध किया गया । इस प्रकार प्रतिनियुक्ति संदिग्ध प्रतीत लग रही है ।
उक्त प्रतिनियुक्ति के क्रम में चंद्रभान सिंह के द्वारा 11.09.2017 को निदेशालय चिकित्सा शिक्षा उत्तराखंड 107 चंदन नगर देहरादून के कार्यालय में सहायक अभियंता ( सिविल ) के पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया गया । यहां यह भी बताया जाना अनिवार्य है कि जिस दिन चंद्र भान सिंह के द्वारा कार्यभार ग्रहण किया गया, उस तिथि को उक्त शाशनादेश के विस्तारण की तिथि 28.02.2017 समाप्त हो चुकी थी , जिस कारण चंद्र भान सिंह की प्रतिनियुक्ति नियम विरुद्ध और असंवैधानिक हो गई ।
अब पढ़िए अरुणेंद्र सिंह चौहान का द्वारा जारी फर्जी प्रतिनियुक्ति को किस प्रकार मुख्य सचिव ,वित्त विभाग ,उत्तराखंड शासन और मुख्यमंत्री को झांसा देकर फर्जी नियुक्ति को असली नियुक्ति का चोला पहना दिया गया ।
अरुणेंद्र सिंह चौहान अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तराखंड शासन के द्वारा चंद्र भान सिंह की प्रतिनियुक्ति की निरंतरता दिनांक 28.02.2018 तक बढ़ाए जाने के आदेश 16.04.2018 को अपने हस्ताक्षर से जारी किया गए जिसमे बिंदु नबर 3 में अरुणेंद्र सिंह चौहान के द्वारा यह अंकित किया गया कि उक्त आदेश उत्तर प्रदेश शासन के वित अनुभाग – 2 के शाशनादेश दिनांक 2.12.1998 वर्णित प्रविधानुसार निर्गत किए जा रहे है ।
अब जानिए कि उक्त शशानादेश 2.12.1998 में बिंदु 2 में यह अंकित किया गया है कि उक्त प्रतिनिदायन निसंवर्गीय पदो पर लागू नहीं होंगे प्रशासकीय विभाग प्रत्येक वित्त वर्ष में निसंवर्गिय पदो को चालू रखने औचित्य का पूर्ण परिक्षण करेंगे यदि उक्त निसंवर्गीय पद की आवश्यकता का औचित्य प्रशासकीय विभाग पाते है तो उनकी निरंतरता जारी करने से पूर्व वित्त विभाग की सहमति प्राप्त करते हुए मुख्य सचिव तथा मुख्यमंत्री जी का अनुमोदन प्राप्त करेंगे । उक्त प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत ही निरंतरता जारी की जाएगी जो संबंधित वित्त वर्ष में फरवरी माह के अंतिम दिन तक ही सीमित रहेगी ।
कुल मिलकर देखा जाये तो इस चंद्रभान सिंह अभियता पद लाने का उद्देश्य तत्समय चल रहे निर्माण कार्यो जैसे दून मेडिकल कॉलेज , श्रीनगर मेडिकल कॉलेज आदि निर्माण कार्यो में अपने मतलब की पुष्टि एवं रिपोर्ट लगवाकर हजारो करोड़ रुपये का वारे न्यारे करना था अन्यथा ऐसी क्या मज़बूरी या आवश्कयता थी की जो विवादित नियुक्ति करनी पढ़े।
इस संबंध में बिंदु तीन में राज्यपाल महोदय यह भी आदेश देते है कि किसी भी दशा में निसंवर्गीय पदो को स्थाई न किया जाए और निसंवर्गीय पद का सृजन केवल किसी विशेष कार्य के लिए किया जाए और कार्य विशेष समाप्त होने के उपरांत उक्त पदो को स्वत: समाप्त कर देना चाहिए ।
इस प्रकार अरुणेद सिंह चौहान,अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा के द्वारा चंद्रभान सिंह, सहायक अभियंता की प्रतिनियुक्ति करने में इतनी दरियादिली दिखाई गई कि उनके वित्त विभाग, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री को ठेंगा दिखा दिया गया और स्वयं ये बात तक भूल गए कि वे स्वयं एक लोक सेवक के पद पर कार्यरत है ।
अरुणेंद्र के द्वारा लोक सेवक के पद के कर्तव्य,दायित्व का हनन करते हुए ऐसा गंभीर अपराधिक कृत्य किया गया है , इनका यह पूरा इतिहास उत्तराखंड शासन ,चिकित्सा शिक्षा अनुभाग 1 सचिवालय देहरादून की शासन की पत्रावली में संचित है ।
इस फर्जीवाड़े से इस बात की पुष्टि होती है कि अरुणेंद्र सिंह चौहान के द्वारा दिनांक 27.11.2018 को सचिव नितेश कुमार झा के आदेशों एवम मुख्यमंत्री के निर्देशों में हेरा- फेरी कर एक फर्जी ट्रांसफर ऑर्डर जारी किया गया इस प्रकरण से अरुणेंद्र सिंह चौहान का उक्त कृत्य पैदायशी है जिसे करने में यह निपुण है ।
क्या जीरो टॉलरेंस की सरकार के निष्ठावान मुख्यमंत्री इस पर कड़ी कार्यवाही करेंगे ?