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आपदा,हर दूसरे दिन स्कूल अवकाश,ट्रैफिक जाम,सड़को की खस्ताहाल, मरम्मत ,निर्माण कार्यो के चलते सिर्फ राजधानी देहरादून में क्या हो सकता है ये फार्मूला कामयाब ?

समस्या और समाधान पर चर्चा

आपदा,हर दूसरे दिन स्कूल अवकाश,ट्रैफिक जाम,सड़को की खस्ताहाल, मरम्मत,निर्माण कार्यो के चलते सिर्फ राजधानी देहरादून में क्या हो सकता है ये फार्मूला कामयाब ?

वॉयस ऑफ़ नेशन ( मनीष वर्मा ) मानसून की उत्तराखंड में दस्तक होने के बाद से ही लगभग हर सप्ताह में आपदा, भारी बरसात, ओला वृष्टि, बिजली चमकने, बादल फटने या प्राकृतिक आपदा के कारण राज्य के विभिन्न जनपदों में छात्रो,अभिभावकों के हित में स्कूलों में अवकाश घोषित होता रहा है।

वहीं राजधानी देहरादून की बात करे तो स्मार्ट सिटी के कार्यो के चलते जगह जगह गड्ढे में सड़क या सड़क में गड्ढे की समस्या हर तरफ देखने को मिली है और यहाँ तक की एक समय तो ऐसा आ गया था की विधायक खजान दास ने धरने पर बैठने की घोषणा कर दी थी जिसको FM रेडियो तक पर प्रचारित किया गया था, तब यह निष्कर्ष निकल कर आया था था कि बरसातों के बाद स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यो को पूर्ण कर दिया जायेगा ,परन्तु आज कि बात करें तो VIP राजपुर रोड हो या VVIP ईसी रोड,गाँधी रोड हो,चकराता रोड हो हो सब जगह गड्ढे ही गड्ढे दिखते है सडको के किनारे नाली बनाने का काम चल रहा है इस बीच कई दुर्घटनाये भी इन गड्ढो या सड़क निर्माण, जल भराव के चलते हुई है और जनता के कई लोग हॉस्पिटल तक भर्ती हुये है और सबसे ज्यादा स्कूल भी इन्ही दोनों सडको पर या इन दोनों सडको को जोड़ते है 

सडको के किनारे नाली बनाने का काम चल रहा है और बेचारा स्मार्ट सिटी विभाग भी क्या करें उस पर भी चारो और से भारी दबाव भी है और बरसात में भी काम करते हुए ठेकेदार दिख रहे है । 

सबसे ज्यादा दबाव तो अभिभावकों और छात्रों पर तब होता है जब बारिश अचानक हो जाये, स्कूलों या सरकारी कार्यालयों कि छुट्टी समय हो कार्यालय में आने का समय हो, सभी परेशानी झेल रहे होते है जिससे प्रशासनिक कार्यो में ही नहीं अपितु आम जनमानस को भारी बाधा उत्पन्न तो होती ही है और कार्यो में भी देरी होना या बच्चो को छोड़ने या लाने में भी देरी होती ही है और इस बीच कई एम्बुलेंस भी जाम में फंसी दिखाई देती है जिसमे जीवन और मौत से जूझ रहे मरीज के लिए बहुत बड़ी समस्या है क्यूंकि कई जगह ऐसी भी शहर में है जहां रोड पर डिवाइडर में कट नहीं है और यदि कारोबारियों की बात करें तो लगभग इस आपदा या बारिश से उनका काम चौपट हो चला है क्यूंकि व्यवसाय के साथ बच्चो को लाना और ले जाना व्यापारियों, सरकारी कर्मचारियों सभी से जुड़ा है । 

क्या इन समस्याओ के मद्देनज़र मुख्यमंत्री /सरकार/मंत्री/ या जिला प्रशाशन ऐसा निर्णय ले सकता है कि, जैसे कि आशा कि जा रही है कि बरसात 31 अगस्त तक समाप्त या कम हो जाएगी, के दृष्टिगत स्कूलों को 31 अगस्त तक ऑनलाइन मोड में संचालित करें और इस बीच राजधानी में स्मार्ट सिटी के सरकारी काम, सडको को गड्ढा मुक्त,और स्मार्ट सिटी और प्रशाशन को भी खुल कर सडको पर बिना दबाव के काम करने को समय मिल जायेगा, नाली निर्माण आदि कार्य भी सम्पन्न हो जाये और बरसात/आपदा का भी शायद समाधान हो जाये । 

वैसे भी 24 अगस्त से 31 अगस्त तक चौथा शनिवार(बैंक अवकाश) ,एक रविवार और रक्षा बंधन की 3 छुट्टिया है और कोरोना काल में भी बहुत कुछ ऑनलाइन मोड में संचालन करना सिखने को मिला है और सभी शिक्षक इसमें परिपक्व भी है और मोबाइल, टैब, कंप्यूटर आदि आजकल लगभग सभी के पास उपलब्ध है। 

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