उत्तराखंड के 3 भाजपा विधायक गए बाकी तस्वीर 24 घंटे में साफ होने की उम्मीद ।

हरबंस कपूर से स्वर्गवास के साथ 3 सीटें रिक्त चल रही है यानी कुल 4 सीटें रिक्त ।

देहरादून : हरक सिंह रावत निष्कासन प्रकरण से  भाजपा  और कांग्रेस में कुछ सीट का समीकरण अगले 2 दिन में बनता दिख सकता है हालंकि उनकी कांग्रेस में  एंट्री हो या न हो पर कांग्रेस अब प्रीतम और गोदियाल की मेहनत से शर्तो पर नेताओ को लेने वाली स्तिथि में नही है ।

 कल से हरक सिंह खुद ही भाजपा को हार का मुंह दिखाने  की बात कर रहे है ठीक ऐसा ही हरक सिंह ने जब कांग्रेस छोड़ कर भाजपा ज्वाइन की थी तो कांग्रेस को हराने की बात की थी । हालंकि जो भी नेता किसी पार्टी को छोड़ता है तो बड़े बड़े घोटालों को खोलने की धमकी देता ही है जैसा की हरक सिंह टी वी पर कह रहे हैं कि मेरा मुंह खुला तो प्रदेश हिल जायेगा और उसको पुष्कर धामी का जवाब होता है की जिनके घर शीशे के होते है वो दूसरों पर पत्थर नही मारते ।

  जनता पूछ रही है कि हरक सिंह ने इन 5 सालो में भाजपा पर प्रदेश का विकास और बेरोजगारों को रोजगार न देने का मुद्दा भी चैनलों पर कहा पर जनता यह जानना चाहती हैं कि क्या 5 साल हरक सिंह को ये सब नहीं दिखा ? आज सिर्फ ऑल वेदर रोड पर भाजपा को चुनाव जीतने की बात  करने वाले हरक को अब तक प्रदेश का विकास नहीं दिखा 

 खबरों के बीच ताजा खबर ये है कि भाजपा के कुछ और विधायक भी पाला बदल सकते हैं क्योंकि अब तक यशपाल आर्य ,संजीव आर्य और हरक सिंह मिलाकर 3 तो कम हो ही गए हैं जिससे उन क्षेत्रों में जनता के बीच कार्य कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश है और यह खुशी है कि मौका परस्त चलें गए ।

भाजपा की आंतरिक सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के कई मौजूदा विधायकों के टिकट भी खतरे में पड़ गए हैं। इन विधायकों को पार्टी के भीतर से ही कड़ी चुनौती भी मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे विधायकों की संख्या अच्छी खासी है और छटनी की जद में आने वाले विधायकों को भी इसकी भनक लग चुकी है। अब चूंकि दोनों पार्टियों की लिस्ट तकरीबन फाइनल स्टेज पर हैं तो इन नेताओं के लिए ये संभवतः आखिरी मौका हो कि वे इधर से उधर चले जाएं। यही वजह है कि ऐसे विधायक अब एकजुट होकर प्रमुख नेताओं से मिल रहे हैं और लिस्ट आने में देरी हो जाए ।

फिलहाल चर्चाएं ये भी हैं कि हरक सिंह रावत के साथ कोई और विधायक नही है जो मोदी और अमित शाह से दुश्मनी मोल लेने को तैयार हो  । यदि संभवत आज कल में हरक सिंह पर उनके कार्यकाल के दौरान हुए प्रकरण पर कोई करवाही होती है तो कोई भी भाजपा छोड़ कर नहीं जाने वाला ।

हालांकि भाजपा हरक सिंह रावत प्रकरण से सांसत में तो है पर विधायकों की इस लामबंदी से खास फ़र्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। पार्टी नेतृत्व टिकट कटने के बावजूद इनमें से ज्यादातर के पार्टी में ही बने रहने को लेकर आश्वस्त है। इसकी एक अहम वजह यूपी के विपरीत यहां सियासी विकल्प सीमित हैं।

हालांकि पुष्कर धामी में भाजपा में किसी और टूट की संभावना से इंकार किया है

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