आर्थिक रूप से बनना चाहते हैं स्वस्थ तो जल्द ही अपना लें ये आदतें, जानिए फायदे!
नई दिल्ली,VON NEWS: कोविड-19 ने हर कार्यक्षेत्र को, हर काम को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है। कई लोग होते हैं, जो आर्थिक मुद्दों को अक्सर टाल देते हैं, तो कई लोग उनके बारे में सिर्फ सोचते रहते हैं, उन सभी के लिए हम एक बुरी खबर लेकर आए हैं। आपके इस डर का सामना करने की घड़ी आ चुकी है। आर्थिक मामलों के बारे में सीखना शुरू करने और आपकी अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में सोचने का आज से ज्यादा गंभीर समय पहले कभी नहीं आया था।
आप में से कई लोगों को पहले-पहले शायद लग सकता है कि आर्थिक मामलों में कई उलझनें होती हैं और हम भी आपको स्पष्ट रूप से बता देना चाहते हैं कि हाँ, कुछ उलझनें तो हैं, लेकिन फिर भी आप जितना मानते हैं, उतना यह मुश्किल नहीं है, बल्कि एक बार सीखना शुरू कर दें, तो कई चीजें आसानी से समझ में आ जाती हैं। स्वस्थ आर्थिक आदतें ही आर्थिक स्थिरता की नींव होती हैं। आगे चलकर हम स्वस्थ आर्थिक आदतों के बारे में गहन चर्चा करेंगे, लेकिन शुरूआत इन सरल 7 आदतों से करते हैं, जो आर्थिक रूप से स्वस्थ सभी लोगों को होती हैं।
यह सबसे ज़रूरी आदत है और अगर आपने अब तक इसकी शुरूआत नहीं की है तो जल्द से जल्द यह आदत डाल लें। पैसे बचाना ज़रूरी क्यों है? ताकि आपके पास पर्याप्त पैसे बने रहें और उनसे आप और ज्यादा पैसे जुटा सकें (यह कैसे करना है, वो हम आपको जल्द ही बताएंगे)। तो अब सोचिए कि पैसे कैसे बचाएं। आसान है, आप जितना कमाते हैं, उससे कम खर्च करेंगे, तो आपके पैसे बचेंगे। आपको कितने पैसे बचाना ज़रूरी है? विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप रिटायरमेंट के बाद भी अपनी मौजूदा लाइफस्टाइल को बरक़रार रखना चाहते हैं, तो आपको औसतन कम से कम 25-30% की बचत करनी होगी। यह बात शायद मुश्किल लग सकती है, लेकिन कोविड-19 के दौरान हमने जिस तरह के जीवन को महसूस किया है, उससे अब हम बेहतर रूप से समझ सकते हैं कि जीवन में क्या ज़रूरी है और क्या नहीं।
क्या ज़रूरी है और क्या नहीं, यह अगर आप तय नहीं कर पा रहे हैं, तो सबसे सही तरीका है, अपने सभी खर्चों पर नज़र रखना। ज्यादातर पेमेंट्स इलेक्ट्रॉनिकली किए जाते हैं, तो आपको सिर्फ लेन-देन पर नज़र रखनी है। इसके बारे में ज्यादा सोचना नहीं है। सिर्फ एक महीने भर तक अपने खर्चों पर नज़र रखने से आपको आसानी से पता चल जाएगा कि आपका पैसा कहा जा रहा है और आप उसे किस तरह से बचा सकते हैं। अगर आपसे कुछ फिजूल खर्च हो रहा है, तो आपको आसानी से समझ में आ जाएगा।
आज सैलरी आई तो जाकर 55 इंच का टीवी खरीद लिया, इसे ही कहते हैं, आवेग में आकर खर्च करना… यहीं तक सीमित नहीं है, पिछली रात का खाना बचा है फिर भी बाहर से खाना ऑर्डर किया या पुराना जैकेट ठीक है फिर भी नया खरीद लिया, ऐसे कई बार हम आवेग में आकर खर्च करते हैं। यही वो पैसा होता है, जिसे अगर हम खर्च न करते तो वो बच जाता। हमारे खर्च पर नियंत्रण रखकर ही हम आर्थिक स्थिरता हासिल कर सकते हैं। हर किसी का पैर कभी न कभी फिसलता है, लेकिन यह अगर अक्सर होने लगा तो वो हादसा बन सकता है। आवेग में आकर खर्च करना अपवाद होना चाहिए, आदत नहीं।
अगर आप यह सोच रहे हैं कि आखिरकार पैसा किसके लिए बचाना है तो जवाब है आप स्वयं; अगले साल आप छुट्टियां मनाना चाहते हैं या उसके अगले साल कार खरीदना चाहते हैं, तो तब यह बचत आपके काम आ सकती है। 20 से 30 साल तक की आयु के युवा शायद सोचते होंगे कि निवेश आपकी प्राथमिकता नहीं है लेकिन महामारी ने हमें एक बात ज़रूर सिखाई है कि किसी भी विपदा के लिए पहले से तैयारी करके रखने में कोई नुकसान नहीं है, लेकिन अगर हम तैयार नहीं हैं और कोई विपदा आ जाती है तो वो हमारे लिए बहुत बड़ी मुश्किल बन सकती है। अचानक से कोई संकट आए तो उससे बचने के लिए या अपने आप को बढ़िया सा रिवॉर्ड दे पाने के लिए या 45 की उम्र में रिटायर हो जाने के लिए आज ही निवेश की शुरूआत करें।
लोगों की तरह सारे लोन्स एक समान नहीं बनाए जाते। क्रेडिट कार्ड डेब्ट पर ब्याज दर ज्यादा होता है, जबकि स्टूडेंट लोन्स पर कम। आपके लोन्स कितने हैं इसका पूरा ध्यान रखिए और उन्हें समय पर चुकाइए। सबसे ज्यादा ब्याज दर वाले लोन्स सबसे पहले चुका दीजिए।