की-होल सर्जरी से आसान होगा बच्चों का किडनी ऑपरेशन, पढ़िए

नई दिल्ली,VON NEWS: कुछ बच्चे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जन्म लेते हैं या बहुत छोटी उम्र में ही गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। शुरुआत में तो पैरेंट्स यह समझ ही नहीं पाते कि समस्या क्या है। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे की स्वास्थ्य समस्या के बारे में पता होने के बाद भी पैरेंट्स बच्चे की कम उम्र के कारण सर्जरी के विकल्प से घबराते हैं, लेकिन की-होल सर्जरी ने अब इस मुश्किल को आसान बना दिया है। पहले किडनी से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए वयस्कों में ही की-होल सर्जरी की जाती थी, लेकिन अब बच्चों ही नहीं नवजात शिशुओं का भी इसके माध्यम से उपचार किया जा रहा है।

बच्चों के लिए बेहतर है यह तकनीक: पारंपरिक रूप से की जाने वाली किडनी की सर्जरी में बड़े चीरे लगाए जाते हैं और अस्पताल में कईं दिनों तक रुकना भी पड़ता है। जबकि की-होल सर्जरी में पेट के निचले हिस्से की दीवार में छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं, जिनका आकार कुछ मिलीमीटर से बड़ा नहीं होता है। इन छेदों से एब्डामिनल कैविटी (पेट की गुहा) में र्सिजकल इंस्ट्रुमेंट्स और लैप्रोस्कोप डाला जाता है, जिसमें किडनी तक पहुंचने के लिए लाइट और कैमरा भी होता है। इसे लैप्रोस्कोपिक सर्जरी भी कहते हैं। बच्चों में ये सर्जरी किडनी स्टोन्स, यूरेट्रो पेल्विक जंक्शन ऑब्सट्रक्शन, नेफ्रोक्टोमी (सर्जरी के द्वारा किडनी निकालना) के लिए की जाती है।

यूरेट्रो पेल्विक जंक्शन (यूपीजे) : यूपीजे के कारण किडनी ब्लॉक हो जाती है। अधिकतर मामलों में यह रीनल पेल्विक पर ब्लॉक होती है, जहां किडनी दोनों में से एक यूरेटर (ट्यूब जो ब्लैडर तक यूरीन ले जाती है) से जुड़ती है। ब्लॉकेज के कारण किडनी से यूरीन का प्रवाह धीमा या ब्लॉक हो जाता है। अगर इसका उपचार न कराया जाए तो किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर किसी बच्चे को यह समस्या है तो पैरेंट्स को घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि इसका पूरी तरह उपचार संभव है।

किडनी स्टोन: ये उन बच्चों के लिए अधिक लाभदायक है, जिन्हें एक बड़ा रीनल स्टोन होता है।

नेफ्रोक्टोमी: नेफ्रोक्टोमी वह र्सिजकल प्रक्रिया है, जो पूरी किडनी या किडनी के कुछ भाग को निकालने के लिए की जाती है।

रेडिकल: इस सर्जरी में पूरी किडनी को निकाल दिया जाता है। कई मामलों में कुछ अतिरिक्त संरचनाएं, जैसे जो ट्यूब किडनी को ब्लैडर (यूरेटर) से जोड़ती है या दूसरी आसपास की संरचनाएं जैसे कि एड्रीनल ग्लैंड या लिम्फ नोड्स आदि को भी निकाल दिया जाता है।

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