यहां हर साल कौड़ी के भाव आलू बेच देते हैं किसान, जानिए क्या है कारण..

सुपौल,VON NEWS: त्रिवेणीगंज अनुमंडल को आलू उपजाऊ का गढ़ माना जाता है। यहां के किसान हर साल बड़ी मात्रा में आलू उपजाते जाते हैं लेकिन अत्यधिक आलू उपजाने के बाद भी किसानों में मायूसी छाई रहती है। इसका कारण है कि यहां आज तक यहां शीतगृह का निर्माण नहीं हो सका है।

शीतगृह नहीं रहने के कारण किसान अपने उत्पाद का बेहतर बाजार मूल्य लेने के लिए इसका भंडारण नहीं कर पाते हैं। किसानों को खेत में ही या फिर व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में आलू बेच देना पड़ता है। हालांकि किसानों की परेशानी देख 1995 में शीतगृह की आधारशिला रखी गई थी जिसका निर्माण आज तक शुरू नहीं हो पाया है। अब तो कार्य स्थल पर लगे शिलापट्ट की स्थिति भी जर्जर हो गई है और यह टूटने के कगार पर पहुंच गया है।

कृषि मंत्री ने रखी थी आधारशिला

शीतगृह निर्माण के लिए प्रखंड कार्यालय और डीएसपी आवास के सामने कृषि फार्म की चार एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। उक्त स्थल पर 05 जून 1997 को तत्कालीन कृषि मंत्री रामजीवन ङ्क्षसह ने कई मंत्रियों एवं विधायकों मौजूदगी में भूमिपूजन व शिलान्यास किया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि शीतग़ृह निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने से इस क्षेत्र के किसानों का आर्थिक विकास होगा लेकिन किसानों के विकास की यह आधारशिला मूर्तरूप नहीं ले पाई।

शिलान्यास में इनकी थी उपस्थिति

भूमि पूजन एवं शिलान्यास के मौके पर पूर्व मंत्री अनूप लाल मंडल, केंद्रीय भंडारण नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र प्रसाद मंडल, वाणिज्य प्रबंधक अजय खेड़ा, क्षेत्रीय प्रबंधक अरविद चौधरी एवं अधिशासी अभियंता आनंद मोहन शर्मा आदि मुख्यरूप से उपस्थित थे।

कई गांवों में होती है आलू की खेती

प्रखंड मुख्यालय के मचहा, कुशहा, मयुरवा, योगियाचाही और तितुवाहा आदि ऐसे गांव है जहां आलू की खेती बड़े पैमाने की जाती है। किसान अन्य सब्जियों की खेती भी करते हैं। इन गांवों के सब्जी उत्पादक किसान साइकिल, मोटरसाइकिल व अन्य वाहनों पर अपने उत्पाद को लाद कर त्रिवेणीगंज की मंडियों में लाते है।

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