महंगा होगा चमड़े का जूता, आगरा के निर्यातकों के लिए गंभीर संकट
आगरा,VON NEWS: कोरोना काल में आर्डर कम होने से जूझ रहे ताजनगरी के जूता निर्यातकों की मुश्किलें बजट ने और बढ़ा दी हैं। सरकार ने कच्चे चमड़े के आयात पर 10 फीसद कर लगा दिया है। काउंसिल फोर लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) की इंपोर्ट लाइसेंस स्कीम रद किए जाने से जूता निर्यातकों पर दोहरी मार पड़ी है।
वर्ष 2020 में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते आगरा का जूता कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया था। निर्यातकों को बामुश्किल 40-50 फीसद आर्डर ही पिछले वर्ष की अपेक्षा मिल सके थे। यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उन्हें 2021 में भी आर्डर कम मिलने की उम्मीद है। इसके चलते जूता निर्यातकों ने बजट में सरकार के स्तर से राहत मिलने की उम्मीद लगा रखी थी, लेकिन यहां उल्टा हो गया।
जूता निर्यातक विदेश से कच्चा चमड़ा मंगवाकर केवल टैनिंग कराते थे। चमड़े के आयात पर कोई कर नहीं था। बजट में चमड़े के आयात पर 10 फीसद कर लगा दिया गया है। वहीं, निर्यात को बढ़ावा देने को जूते की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बहुत सी चीजें आयात की जाती थीं। इनके आयात पर पर सीएलई के माध्यम से इंपोर्ट लाइसेंस स्कीम के तहत पांच फीसद छूट मिलती थी। इस स्कीम को रद कर दिया गया है। चमड़ा महंगा होने व इंपोर्ट लाइसेंस स्कीम रद किए जाने से जूते की लागत बढ़ना तय है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जूता निर्यातकों के लिए चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। अन्य देशों में बनने वाला जूता सस्ता होने से भारतीय जूता निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है।