20 मिनट में तैयार हो जाएगी 500 किलो दाल, एक बार में बनेंगी 4000 रोटियां, जानिए

नई दिल्ली,VON NEWS: समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके  दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुरुद्वारा बंगला साहिब में लंगर के लिए आधुनिक मशीनों को लगाकर संगतों को रसोई सौंप दिया है। रसोई का सुंदरीकरण भी किया गया है। इसके साथ ही नया लंगर हॉल भी खोल दिया गया है। रविवार को कार सेवा वाले बाबा बचन सिंह ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों की उपस्थिति में इसका उद्घाटन किया।

इस दौरान दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि नई मशीनों से एक समय में 500 किलो दाल मात्र 20 मिनट में तैयार हो सकेगी, वहीं डेढ़ क्विंटल आटा एक बार में मशीन से गूंथा जा सकता है। इसी के साथ ही दो मशीनों के माध्यम से एक बार में चार हजार रोटियां बन सकेंगी। इसके लिए यहां पर बड़े-बड़े बायलर कुकर लगाए गए हैं। इससे लंगरियों के समय की बचत होगी। अब उन्हें रात से ही इसकी तैयारियां नहीं करनी होगी।

उधर, कमेटी के महासचिव हरमीत सिंह कालका ने बताया कि कोरोना काल में लगे लाकडाउन में कमेटी ने लाखों लोगों को लंगर बनाकर भेजा था, लेकिन इसे बनाने के लिए कई स्थानों का उपयोग किया गया था। नई मशीनें लगने के बाद अब एक ही स्थान पर लाखों लोगों के लिए लंगर तैयार किया जा सकता है।

क्या होता है लंगर

लंगर खाने की ऐसी व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न जातियों के लोग, छोटे-बड़े सब एक ही स्थान पर बैठकर भोजन करते हैं। पूरी दुनिया में जहां भी सिख बसे हुए हैं, उन्होंने इस लंगर प्रथा को कायम रखा है। वहीं, लंगर के कई अर्थ होते हैं। मसलन जहाज, नाव आदि में सफर करने वाले लोग अक्सर लंगर डालकर भोजन आदि कर विश्राम करते थे। वर्तमान में लंगर का अर्थ एक जगह सामूहिक रूप से खाने को ही कहा जाता है।

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