भारत-अमेरिका संबंध संभावनाएं ज्यादा, चुनौती कम,पढ़े पूरी खबर
नई दिल्ली,VON NEWS: बाइडन युग की शुरुआत के साथ ही अमेरिकी जनता समेत पूरी दुनिया को आने वाले कल का इंतजार है। भारत भी इस नए निजाम के साथ अपने रुख-मिजाज का आकलन कर रहा है। दोनों देशों के संबंधों पर बारीक नजर रखने वाले विशेषज्ञों के के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध अधिक मजबूत हो सकते हैं। तमाम वैश्विक मंचों पर भारत के पक्ष में अमेरिकी मुहर लाभ दिला सकती है। चूंकि अब अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी देश बन चुका है, लिहाजा महामारी के इस दौर में यहां की फार्मा इंडस्ट्री को भी फायदा पहुंच सकता है।
अमेरिका से भारत आयात से ज्यादा निर्यात करता है। इसी के चलते माना जा रहा है कि बाइडन की टिकाऊ नीतियां सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक व्यापार को भी लाभ पहुंचाएंगी। वहीं ट्रंप के कार्यकाल के दौरान ईरान और चीन से अमेरिका के रिश्ते काफी बिगड़ गए थे। इस ट्रेड वार के चलते कई देशों के साथ भारत को भी नुकसान हुआ था। अब अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का लाभ घाटे से उबरने में मदद करेगा।
बाइडन ने पदभार ग्रहण करते ही ग्रीन कार्ड को लेकर सभी देशों के लिए तय सीमा को खत्म कर दिया है। इस कदम से अमेरिका में बाकी देशों समेत हजारों भारतीय आइटी पेशेवरों को लाभ मिलेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक संभावनाएं
स्वास्थ्य संकट को देखते हुए बाइडन ने शपथ ग्रहण से पहले ही कह दिया था कि वो हेल्थकेयर पर खर्च बढ़ाएंगे। इससे भारत को फायदा हो सकता है क्योंकि भारत बड़े पैमाने पर अमेरिका को जेनरिक दवाओं की आपूर्ति करता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद ही जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका की वापसी की घोषणा कर दी। बता दें, यह समझौता ग्लोबल वार्मिग को सीमित करने के लिए 2015 में हस्ताक्षर किए गए समझौते में से एक है जिसे पूर्व राष्ट्रपति ने अंत में छोड़ दिया था। अब बाइडन ने साल 2050 तक कार्बन उत्सर्जन के स्तर में कटौती के पुराने लक्ष्य पर बढ़ने की बात कही है। इससे भारत को फंडिंग और टेक्नोलॉजी शेयरिंग के अवसर हासिल होंगे।