विदेश नीति में ‘आइलैंड डिप्लोमेसी’ का महत्व, जानिए क्या है!

VON NEWS: हिंद महासागर के द्वीपीय देशों तक भारत की पहुंच के प्रयासों के पीछे कई सामरिक उद्देश्य काम कर रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की हालिया श्रीलंका व सेशेल्स की यात्र इसी सोच का एक हिस्सा रही है और इस रूप में द्वीपीय कूटनीति (आइलैंड डिप्लोमेसी) को भारतीय विदेश नीति के स्तंभ के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सेशेल्स के एजम्पसन द्वीप में भारत अपने सैन्य अड्डे की स्थापना के अवसर खोज रहा है। साथ ही अन्य द्वीपीय देशों में अपनी आíथक कूटनीतिक संलग्नता को भी बढ़ा रहा है।

इसी क्रम में हाल ही में भारत के विदेश मंत्रलय द्वारा इंडो पैसिफिक डिवीजन के गठन के साथ ही द्वीपीय कूटनीति को औपचारिक रूप दे दिया गया है। पिछले वर्ष भी भारत सरकार ने एक नए इंडियन ओसियन रीजन डिवीजन के गठन के साथ ही आइलैंड डिप्लोमेसी की नींव रख दी थी जिसे इस वर्ष ठोस रूप देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसके अंतर्गत श्रीलंका, मालदीव, मॉरिशस और सेशेल्स को एक साथ शामिल किया गया था और वर्ष 2019 में इस डिवीजन में विस्तार कर मेडागास्कर, कोमोरोस और रीयूनियन द्वीप को भी शामिल कर लिया था। रियूनियन द्वीप पर फ्रांस का स्वामित्व है और हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में आयोजित इंडियन ओसियन रिम एसोसिएशन के काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की वर्चुअल बैठक में भारत के समर्थन के साथ फ्रांस को इस एसोसिएशन का 23वां सदस्य बनाया गया है। यह भारत के द्वीपीय सुरक्षा और सागर विजन को मजबूती देने वाला कदम माना गया है।

वर्ष 2015 में भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री ने सेशेल्स की यात्र की थी और तीन दशकों में किसी भारतीय नेता द्वारा इस क्षेत्र में की गई यह पहली यात्र थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना था कि इस क्षेत्र से बेहतर संबंध भारत की सुरक्षा और प्रगति के लिहाज से अहम है। लघु द्वीपीय विकासशील देश हिंद महासागर में कई एशियाई और गैर एशियाई नौसेनाओं के लॉजिस्टिक्स संस्थापनों के रूप में विकसित होते देखे गए हैं। इन लघु द्वीपीय देशों में सेना व नौसेना के अड्डे समेत समुद्री अन्वेषण केंद्र खोलने की प्रवृत्ति देखी गई है। ऐसे द्वीपीय देशों में दक्षिण एशिया में श्रीलंका व मालदीव तथा हिंद महासागर के तटीय क्षेत्रों में मेडागास्कर, कोमोरोस, रियूनियन द्वीप, सेशेल्स, जिबूती आदि शामिल हैं।

प्रशांत द्वीपीय देशों में कारोबार

वर्ष 2014-15 में प्रशांत द्वीपीय देशों और भारत के मध्य वार्षकि स्तर पर कुल व्यापार 30 करोड़ डॉलर का था जिसमें से भारत का इन देशों में निर्यात 20 करोड़ डॉलर और आयात 10 करोड़ डॉलर का था। वर्ष 2014 में इस संगठन के गठन के समय भारत ने इन देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन व स्वच्छ ऊर्जा संवर्धन हेतु 10 लाख डॉलर की राशि वाले विशेष कोष का गठन करने और भारत में इन देशों के लिए व्यापार कार्यालय खोलने पर बल दिया था।

शासनाध्यक्षों के स्तर पर दूसरे समिट में फिपिक सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुधार और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की उम्मीदवारी का मजबूत समर्थन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में फिजी में एक मेडिकल सेंटर गठित करने, वहां एक फार्मास्युटिकल प्लांट का निर्माण करने और फिजी के पर्यटन क्षेत्र में भारतीय निवेश करने की अपेक्षा को पूरा करने पर बल दिया था। भारत ने समिट में पापुआ न्यू गिनी में अवसंरचात्मक क्षेत्र को विकसित करने, सड़कों, राजमार्गो, एयरपोर्ट्स आदि बनाने में सहयोग की बात की।

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