पंजाब में सड़कों की बनावट ही ले रही लोगों की जान, जाने

VON NEWS: पंजाब सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारी तय करने के लिए इस काम को संस्थानिक (इंस्टीट्यूशनल) रूप दे दिया है। इस काम को राज्य स्तर पर विशेषज्ञ चीफ इंजीनियर और जिलों में कार्यकारी इंजीनियरों के सुपुर्द कर दिया है।

पंजाब में अब तक सड़क सुरक्षा राज्य पुलिस का ट्रैफिक विंग, ट्रांसपोर्ट विभाग और मिशन तंदरुस्त पंजाब के अधीन थी। लेकिन सरकार के लिए किसी की जिम्मेदारी तय करना पाना संभव नहीं था। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने मिशन तंदरुस्त पंजाब के अधीन पंजाब रोड एंड ब्रिजेज डेवलपमेंट बोर्ड के चीफ इंजीनियर को सड़क सुरक्षा का नोडल अधिकारी और राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का कनवीनर नियुक्त किया है।

उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे राज्य की सड़कों का निरंतर निरीक्षण करते हुए ब्लैक स्पॉट की पहचान करेंगे और उन्हें ठीक करने के लिए संबंधित सरकार (केंद्र और राज्य) से फंड के लिए सिफारिश करेंगे। इस तरह सड़कों पर हादसों वाले ब्लैक स्पॉट जो निर्माण खामियों के कारण बने हैं, उनका निदान विशेषज्ञ ढंग से किया जाएगा।

सभी 22 जिलों में समन्वय के लिए, पंजाब लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सड़क) की ओर से 22 कार्यकारी इंजीनियरों को कार्यकारी अभियंता (सड़क सुरक्षा) के रूप में नामित किया गया है। पिछले साल पंजाब में सड़क हादसों में 4507 लोगों ने जान गंवाई यानी प्रतिदिन औसतन 12 लोग सड़क हादसों में मारे गए जबकि 2018 में यह आंकड़ा 4725 लोगों का रहा।

मिशन तंदरुस्त पंजाब के प्रमुख काहन सिंह पन्नू के अनुसार, राज्य की सड़कों पर अब तक 391 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है, जिनमें अधिकतर ब्लैक स्पॉट सड़क इंजीनियरिंग की अनदेखी कर बनाई गई सड़कों में हैं। इन्हें सुधारने के लिए राज्य सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर फंड जारी करने को कहा गया है। इन 391 ब्लैक स्पाट में से 256 ब्लैक स्पॉट राज्य से होकर गुजर रहे नेशनल हाईवे पर, 66 ब्लैक स्पॉट पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर, 42 शहरी इलाकों में और 27 ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर हैं।

 

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