चीन के कास्मेटिक सामान से मुक्त हुआ पूर्वांचल का बाजार, पढ़े पूरी खबर
गोरखपुर,VON NEWS: कोरोना इफेक्ट ने प्रधानमंत्री मोदी के नारे वोकल फार लोकल को मजबूती दी है। पूर्वांचल, खासगर गोरखपुर में कास्मेटिक सेगमेंट के 200 करोड़ रुपये के बाजार पर चीन का कब्जा था। प्रोडक्ट भले ही गुणवत्ताविहीन रहे हों, लेकिन कम दाम के कारण ग्राहकों की पसंद बने हुए थे। कोरोना संक्रमण के साथ सरकार की ओर से जारी सख्त नीति-नियमों के कारण चाइनीज सामानों का आयात प्रतिबंधित हो गया और इसका सीधा फायदा स्वदेशी कंपनियों को पहुंच रहा है। गोरखपुर से ही आसपास के जिलों केे अलावा बिहार और नेपाल तक में चाइनीज कास्मेटिक की आपूर्ति होती थी। वहां पर भी भारतीय उत्पाद जा रहे हैं।
चाइनीज उत्पाद से किनारा कर रहे हैं दुकानदार
चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार का असर बाजार में दिखने लगा है। ग्राहक और कारोबारी चीनी उत्पाद से किनारा कर रहे हैं। ग्राहकों के रुख को देखते हुए बड़े कास्मेटिक कारोबारियों ने चीनी माल मंगवाना बंद कर दिया है। सिर्फ पहले से रखा माल ही बेच रहे हैं और वह भी ग्राहक लेने को तैयार नहीं हो रहा है।
दुकान पर आते ही ग्राहक सबसे पहले यह पूछ रहा है कि उत्पाद चाइना में तो नहीं बना है। ज्यादातर चाइनीज उत्पाद पर दाम और एक्सपायरी तिथि नहीं लिखी होती है। सामान का न तो पक्का बिल मिलता है और न ही उत्पाद खराब निकलने पर ग्राहक क्लेम कर सकता है। गुणवत्ता के मामले में भी वह देसी उत्पाद के सामने खरा नहीं उतरता।
दिल्ली के सदर बाजार से आता है माल
चाइनीज कास्मेटिक का सबसे बड़ा हब दिल्ली का सदर बाजार है। वहीं से लिपिस्टिक, फेस पाउडर, नेल पालिश, आई लाइनर, फांडेशन, काजल, मेकअप किट, शैंपू, कंडीशनर, प्राइमर, कंसीलर, ब्रश, डियाे, ब्रांडेड डियो की कापी, परफ्यूम, मसकरा आदि आता है।
जबकि साहबगंज, पांडेयहाता, घंटाघर एवं शाहमारुफ में स्थित 125 से ज्यादा थोक दुकानों से आसपास के जिलों के अलावा बिहार के सिवान, गोपालगंज, छपरा, महराजगंज, नरकटियागंज तक कास्मेटिक की आपूर्ति की जाती है। फुटकर विक्रेता को सौ रुपये का सामान बेचने में करीब 60 रुपये तक की बचत होती है इसलिए ज्यादातर दुकानदार चाइनीज माल पंसद करते थे। इसके विपरीत देसी कंपनियों के सामान पर महज 10 से 15 फीसद तक बचत हो पाती है।