क्या टमाटर से हो सकता है पार्किंसंस बीमारी का इलाज? जानें

नई दिल्ली,VON NEWS: पार्किंसन रोग एक ऐसी बीमारी है जो तेज़ी से आम होती जा रही है। इस रोग में मष्तिष्क का हिस्सा कई वर्षों के दौरान क्षतिग्रस्त होता जाता है, इसलिए यह एक क्रमिक मनोवैज्ञानिक बीमारी है। अभी तक पार्किंसन रोग का कोई इलाज मौजूद नहीं था, अभी तक लेवोडोपा (Levodopa) नाम की एक दवाई लक्षणों में आराम देने में कारगर सिद्ध हुई है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इसका उपचार ढूंढ़ निकाला है।

वैज्ञानिकों ने ख़तरनाक पार्किंसंस रोग के लिए टमाटर में एक ऐसे तत्व की खोज की है जिससे इस रोग से लड़ने में सहायता मिल सकती है। यह तत्व टमाटर की जीएम क्रॉप की मदद से तैयार किया गया है। साइंस डेली की एक रिपोर्ट की मानें, तो पार्किंसन रोग की दवा के लिए प्रयुक्त एल-डीओपीए खास स्रोत है।

इसके प्राकृतिक स्रोत के रूप में टमाटर के जीएम पौधे का उपयोग उन लोगों के लिए लाभदायक होगा, जो पार्किंसंस से जूझ रहे हैं।ब्रिटेन के जॉन इनस सेंटर की एक टीम ने इसके बारे में हाल ही में शोध किया। टीम के मुताबिक शोध में एल-डीओपीए के संश्लेषण के लिए ज़िम्मेदार एक जीन के ज़रिए टमाटर को संशोधित किया गया। इसके बाद कई चरण की प्रक्रिया समाप्त करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया।

हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, अभी इस शोध और इसके परिणाम को एक सिस्टमैटिक ढंग से करना ज़रूरी है। इस शोध से संबंधित प्रोफेसर कैथी मार्टिन का कहना है कि पार्किंसंस बीमारी विकासशील देशों में भी एक बढ़ती समस्या बन गई है, जहां भारी तादाद में लोग एल-डीओपीए की कीमत का रोज़ाना भार नहीं उठा सकते।

क्या है पार्किंसंस रोग 

यह रोग तंत्रिका तंत्र का एक तेज़ी से फैलने वाला विकार है, जो आपकी गतिविधियों को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे विकसित होता है। यह रोग कभी-कभी सिर्फ एक हाथ में होने वाले कम्पन से शुरू होता है, लेकिन जल्द ही ये कंपकपी के बाद अकड़न या गतिविधी में धीमापन लाने का कारण बन जाती है। पार्किंसन के शुरुआती स्टेज में आपके चेहरे के हाव भाव में भी फर्क देखने को मिलता है। चलते वक्त आपके बाज़ू नहीं हिल पाते, आवाज़ धीनी या अस्पष्ट हो जाती है।

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