सौरमंडल के रहस्य खोलेगा धूमकेतु में बदल रहा एस्टेरायड, पढ़े पूरी खबर
नैनीताल,VON NEWS : खगाेल विज्ञान में एक नई खोज से विज्ञानी आश्चर्यचकित हैं। इस खाेेज में विज्ञानियों ने पहली बार एक ऐसा क्षुद्रग्रह (एस्टेरायड) खोजा है जो अब धूमकेतु (कॉमेट) के रूप में परिवर्तित होने लगा है। विज्ञानियों का मानना है कि इस खोज से धूमकेतुओं की उत्तपत्ति व इनसे खतरों के बारे मे तमाम जानकािरयां मिल सकती हैं।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि 10 जून 2019 को एक क्षुद्रग्रह पी-2019 एलडी-2 की खोज हुई थी। अब दूसरी बार 20अप्रैल 2020 को इसे देखा गया तो आश्चर्यजनक तथ्य यह रहा कि वह खुद को धूमकेतु के रूप में बदल रहा है। इसकी पूछ निकल बाई है। जिस कारण अब माना जा रहा है कि यह धूमकेतु है। इसकी आकृति के बदलने से कई सवाल उभरे हैं। महत्वपूर्ण सवाल इसकी उत्पत्ति को लेकर हैं।
विज्ञानियों के लिए शोध का विषय ये हो गया है कि धूमकेतुओं को जन्म क्षुद्रग्रहों से होता है। वहीं क्षुद्रग्रहाें से जो खतरा पृथ्वी को होता है क्या धूमकेतुओं से भी धरती को उतना ही खतरा हो सकता है । दरअसल क्षुद्रग्रह पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। इनके पृथ्वी से टकराने का भय अक्सर बना रहा है। जिस कारण देश-दुनिया की वेधशालाएं लगातार मंडराते इन खतरों पर नजर रखती हैं।
क्षुद्रग्रह पी 2019 एलडी- 2 का व्यास 14किमी है। पृथ्वी से करीब आने पर इसकी दूरी 4.5 एयू (एस्ट्रोनाॅमकिल यूनिट। एक एयू में करीब 15 करोड़ किमी होता है) रह जाती है। जबिक दूर जाने पर छह एयू हो जाती है। यह 12.3 साल मकें सूर्य का एक चक्कर लगाता है। फलिहाल विज्ञानियों की नजर इस अजूबे रहस्य पर टिकी हुई।
बृहस्पति परिवार का सदस्य है ये धूमकेतु
डाॅ. पांडेय के अनुसार सौर मंडल के अस्तित्व में आने के दौरान ही क्षुद्रग्रहों की भी उत्पत्ति हुई। यह नया एस्टेरायड बृहष्पति परिवार का सदस्य है। बृहष्पति व मंगल ग्रह के बीच क्षुद्र ग्रहों का वास होता है। जबकि धूमकेतु सौरमंडल के अंतिम छोर पर हाेते हैं। ये सभी सूर्य का चक्कर लगाते हैं। क्षुद्रग्रह पृथ्वी अन्य ग्रहों से संबंद्ध होते हैं। जिस कारण इन्हें बृहस्पति या अन्य ग्रहों के परिवार का सदस्य माना जाता है। वर्तमान में बृहस्पति के सबसे अधिक क्षुद्रग्रह हैं। जिनकी संख्या दस लाख से भी अधिक मानी जाती है।
क्षुद्रग्रहों में नहीं हाेती है बर्फ
धूमकेतु या पुच्छल तारे में बर्फ होती है। जब यह सूर्य के करीब जाते हैं तो बर्फ पिघलती है और यह छिटकते हुए पूछ के आकार का निर्माण करते हैं। जबकि क्षुद्रग्रह पत्थर एवं धातु की चट्टान के रूप में होते हैं। इनमें बर्फ नहीं होती। सूर्य से दूरी के लिहाज से भी क्षुद्रग्रह धूमकेतु की अपेक्षा अधिक करीब होते हैं।