ऊर्जा प्रदेश कहलाने वाले इस राज्य में आज भी कई स्कूलों में फैला है अंधेरा,जानिए

देहारदून,VON NEWS: ऊर्जा प्रदेश कहे जाने वाले उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अभी अंधेरा फैला हुआ है। तकरीबन दो हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां अभी तक बिजली का कनेक्शन नहीं है। बिजली न होने के कारण इन स्कूलों के छात्र कंप्यूटर शिक्षा और विज्ञान सीखने के लिए बुनियादी प्रयोग से भी वंचित चल रहे हैं। इन स्कूलों में बिजली पहुंचाने के लिए तमाम जतन किए गए। बावजूद इसके अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति ही इनकी राह में रोड़ा बताई गई। इसे देखते हुए इन स्कूलों में सोलर ऊर्जा पैनल लगाने पर विचार तो हुआ, लेकिन बंदरों द्वारा इसे तोड़ने के खतरे को देखते हुए इस दिशा में आगे बहुत काम नहीं हो पाया। अभी भी स्थिति यह है कि इन स्कूलों में बिजली कैसे पहुंचे, इस दिशा में सरकार व विभाग में मंथन ही चल रहा है। इसका नुकसान विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है।

तीन साल से कार्रवाई का इंतजार

तीन साल पहले परिवहन विभाग में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में दो अधिकारी निलंबित किए गए। इनमें से एक आरोपित दोषमुक्त होकर पदोन्नति पा चुका है। दूसरे पर लोक सेवा आयोग की संस्तुति के बावजूद अभी तक कार्रवाई का इंतजार है। मामले में आरोपित के खिलाफ वसूली और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति के साथ पत्रावली बढ़ाए हुए छह माह से अधिक का समय बीत चुका है।

दरअसल, सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति पर कदम बढ़ाए। हर विभाग में घोटाले के मामलों का संज्ञान लिया गया। परिवहन विभाग में भी दो अधिकारी इसकी जद में आए। इनमें से एक पर पेनाल्टी कम वसूलने के आरोप लगे और दूसरे पर चालान की टैक्स रसीद में हेराफेरी कर राजकोष में कम पैसा जमा कराने के। एक अधिकारी के खिलाफ जांच पूरी हो गई है। वहीं, दूसरे पर अभी तक संस्तुति के बावजूद कार्रवाई नहीं हो पाई है।

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