क्या है बॉर्डरलाइन डायबिटीज, जानें,लक्षण और बचाव
नई दिल्ली,VON NEWS: डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी में दवा के साथ परहेज अनिवार्य है। डायबिटीज रोग में रक्त में शर्करा स्तर बढ़ जाता है और अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन निकलना बंद हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ के अनुसार, दुनियाभर में 42 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।
वहीं, 2045 तक मरीजों की संख्या 62 करोड़ तक पहुंच सकती है। विशेषज्ञ का कहना है कि दवा, दिनचर्या और खानपान में सुधार कर डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। जब डायबिटीज त्वचा को प्रभावित करती है, तो त्वचा संबंधी कई तरह की परेशानियां होती हैं। इनमें एक बॉर्डरलाइन डायबिटीज भी है। अगर आप भी अपनी त्वचा संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो इसे इग्नोर न करें, बल्कि तत्काल डॉक्टर से सलाह लें। आइए बॉर्डरलाइन डायबिटीज के बारे में विस्तार से जानते हैं-
चिकित्सा क्षेत्र में बॉर्डरलाइन डायबिटीज को प्री-डायबिटीज भी कहा जाता है। इसमें गर्दन, बांह और ग्रॉइन यानी पेट और जांघ के बीच गहरे धब्बे आने लगते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति के रक्त में इंसुलिन का स्तर बहुत बढ़ जाता है। आसान शब्दों में कहें तो बॉर्डरलाइन डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को डायबिटीज नहीं रहती है, लेकिन डायबिटीज होने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
विशेषज्ञों की मानें तो सामान्य व्यक्ति में शुगर का स्तर खाली पेट 100 mg/dl रहता है। जबकि खाना खाने के बाद शुगर स्तर 140 mg/dl से तक रहना चाहिए। अगर खाना खाने के बाद शुगर स्तर 140 mg/dl से ऊपर रहता है, तो यह बॉर्डरलाइन डायबिटीज के संकेत है।
अगर इस दौरान लापरवाही बरतते हैं, तो डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में दवा की जरूरत नहीं होती है, लेकिन खानापान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज और योग जरूर करें। योग के कई प्रकार हैं। इनमें विपरीत करनी डायबिटीज के मरीजों के लिए दवा समान है।