कुमाऊं मंडल में हर माह औसतन 40 लोग मौत को लगा रहे गले,पढ़िए पूरी खबर
नैनीताल,VON NEWS: भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव ने लोगों को इस कदर घेर लिया है, कि लोग मौत को गले लगाने से भी गुरेज नहीं कर रहे। पारिवारिक कलह, बेरोजगारी, प्रेमप्रसंग, परीक्षा में असफलता, मानसिक उत्पीड़न और बीमारी से त्रस्त होकर आत्महत्या करने के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आकड़ो की माने तो मण्डलभर में हर माह औसतन 40 लोग आत्महत्या कर रहे है। जिसमें वयस्क महिलाओं की अपेक्षा जान देने वाले पुरुषों की संख्या तीन गुना अधिक है।
नाबालिकों के मामले में किशोरों की अपेक्षा किशोरियों द्वारा आत्महत्या के अधिक मामले दर्ज हुए है। आत्महत्या के मामलों में उधमसिंह नगर में सबसे अधिक और चम्पावत में सबसे कम मामले मिले है। बीडी पाण्डे अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ गिरीश पांडेय बताते है कि बदलता लाइफ स्टाइल और मन मुताबिक जीवननिर्वाह न कर पाने से पैदा हुआ मानसिक तनाव लोगों को कुंठित कर रहा है। ऐसे में लोग आत्महत्या का रास्ता चुन रहे है। चिकिसकीय सलाह, दवाइयों के सेवन और परिवार के बीच समय बिताकर ऐसी स्थिति से निकला जा सकता है।
पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक
मंडल में वयस्क पुरुषों द्वारा आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे है। महिलाओं की अपेक्षा इनमें आत्महत्या की दर करीब तीन गुना अधिक है। जनवरी से सितंबर तक मंडल में 236 पुरुष आत्महत्या कर चुके है। जबकि 87 महिलाओं ने भी मौत को गले लगाया है। ईधर किशोरियों के आत्महत्या के मामले भी बढ़ रहे है। नौ माह में 24 किशोरियां आत्महत्या कर चुकी है। वही 12 किशोरों द्वारा आत्महत्या की गई है। जिसमें 219 ने फांसी लगाकर , 116 ने जहर खाकर, छह ने नदी में कूदकर, सात ने आग लगाकर व अन्य तरीको से मौत को गले लगाया है।
महत्वकांशा और सहनशक्ति न होना बन रहा कारण
डॉ पांडेय बताते है कि बदलते लाइफस्टाइल ने व्यक्ति को महत्वाकांशी बना दिया है। दूसरी ओर लोग सहनशीलता खोते जा रहे है। रिश्तों या प्रतियोगिता में छोटी सी असफलता मिलने पर लोग जिंदगी खत्म करने से भी पीछे नहीं हट रहे है। इसके अलावा पारिवारिक कलह और प्रेमप्रसंग में असफलता भी आत्महत्या का बड़ा कारण बन रही है। परिवारों का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। एकांकी परिवारों में माता पिता और बच्चों में भावात्मक लगाव कम ही देखने को मिल रहा है। जिस कारण कोई परेशानी होने पर भी बच्चें माता पिता को नहीं बताते है। नतीजतन बच्चें आत्मघाती कदम उठा रहे है।
उधमसिंह नगर 153
नैनीताल 91
अल्मोड़ा 36
बागेश्वर 26
पिथौरागढ़ 36
चंपावत 17
कुल 359
आत्महत्या का निर्णय क्षणिक होता है। डॉ पांडेय बताते है कि तनाव होने और ऐसा कोई ख्याल दिमाग मे आने पर दो बार इसके परिणामों पर मंथन कर इसे रोका जा सकता है। इसके अलावा माता पिता को अपने बच्चों पर, उनकी गतिविधियों पर आ रहे बदलाव पर ध्यान देने की जरूरत है। तनाव होने पर परिवार के साथ समय बिताना सबसे कारगर उपाय है। इसके अलावा नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन, सकारात्मक विचार, प्राणायाम, और नशे से दूर रहकर तनाव कम किया जा सकता है। तनाव अथवा डिप्रेशन होने पर व्यक्ति को तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।