लखपत राय और जाय हुकिल ने आदमखोर गुलदार को किया ढेर,पढ़िए पूरी खबर

हल्द्वानी,VON NEWS. उत्तराखंड में इस समय गुलदार व बाघ का आतंक लोगों की जिंदगी पर बन आया है। रामनगर, हल्द्वानी, भीमताल से लेकर पिथौरागढ़ तक में इन्होंने आबादी के बीच दस्तक देकर दहशत बना रखी है। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए वन विभाग ने इन्हें आदमखोर घोषित कर शिकारियों को बुलवा तो लिया। मगर अब तक कामयाबी नहीं मिल सकी। वहीं, उत्तराखंड में दो शिकारी ऐसे भी हैं जिन्हाेंने बाघ-गुलदार के आतंक से निजात दिलाने के मामले में जिम कार्बेट को भी पछाड़ दिया।

जिम काॅर्बेट ने अपने दौर में 33 बाघ व गुलदार का खात्मा किया था। जबकि गैरसैंण निवासी लखपत सिंह रावत ने 54 और पौड़ी गढ़वाल निवासी जाय हुकिल ने 39 आदमखोरों को अब ढेर किया है। हालांकि, मौजूदा दौर में वन्यजीवों के आतंक के बावजूद एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि रामनगर, पिथौरागढ़ और भीमताल में अब तक राज्य के सबसे अनुभवी शिकारी जाय और लखपत को क्यों नहीं बुलाया गया।

दोनों का असल पेशा दूसरा

गैरसैंण निवासी और वर्तमान में शिक्षा विभाग में बतौर उपखंड शिक्षाधिकारी सेवा दे रहे लखपत सिंह रावत ने 52 गुलदार व दो बाघ को ढेर किया। उन्होंने अपना पहला शिकार मार्च 2002 में एक गुलदार को निशाना बनाकर किया था। वहीं, पौड़ी गढ़वाल निवासी जाय हुकिल होम स्टे का संचालन करने के साथ टूरिस्टों को वन्यजीवों की दुनिया से रूबरू करवाते हैं। अब तक 38 गुलदार व एक बाघ को मारनेे वाले जाय ने पहला शिकार 2007 में टिहरी में किया था। सबसे बड़ी बात यह है कि आज तक इन्होंने किसी गलत वन्यजीव को निशाना नहीं बनाया।

हंटर और शूटर फर्क

शिकारी जाय हुकिल कहते हैं कि एक हंटर और शूटर में फर्क होता है। माना कि किसी शूटर का निशाना पक्का होता है। मगर हंटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वो सामान्य व आदमखोर गुलदार को पहचानने के बाद ही टारगेट करता है। साथ ही पदचिन्ह, आवाज और मूवमेंट को पहचानने में उसका अनुभव भी काम आता है। एक आदमखोर की तलाश और फिर आमना सामना होने पर कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

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