जीवन भर की कमाई डुबा सड़क पर आ गए थे जीतेंद्र,
VON NEWS. बिहार में चुनाव का बिगुल बज रहा है। और, मेरे दिमाग में राजेश खन्ना और मुमताज की हिट फिल्म ‘रोटी’ का गाना बज रहा है,
‘क्या नेता क्या अभिनेता,
जो जनता को दे धोखा,
पल में शोहरत उड़ जाए,
ज्यों एक पवन का झोंका,
अरे जोर न करना, अरे शोर न करना,
अपने शहर में शांति है,
ये जो पब्लिक है सब जानती है,
ये जो पब्लिक है…’
परदे पर जब ये गाना बजता है तो साथ में अभिनेता जीतेंद्र की झलक भी दिखती है। राजेश खन्ना के पक्के वाले दोस्त रहे जीतेंद्र ने दोस्ती की खातिर ही इस फिल्म में ये स्पेशल अपीयरेंस दी थी। दोनों साथ साथ स्कूल में पढ़े और कॉलेज भी दोनों ने साथ ही किया। जीतेंद्र को देखने के लिए दर्जनों लोग मैंने कुछ साल पहले तक जुहू के शनि मंदिर में खड़े देखे हैं। वह, राकेश रोशन और कुछ और मित्र नियमित रूप से हर शनिवार इस मंदिर जाते रहे हैं। वजह वही जानें, लेकिन जीतेंद्र अपने जीवन में किस्मत का काफी हाथ मानते हैं।
जीवन में कम से कम दो बार ऐसा हुआ जब वह कंगाली के मुहाने पर आ खड़े हुए। एक तो तब जब फिल्मों में काम पाने के लिए वह संघर्ष कर रहे थे और दूसरा तब जब अपने जीवन भर की कमाई उन्होंने लगा दी फिल्म ‘दीदार ए यार’ बनाने में। ये फिल्म बनाने के लिए उन्होंने एहसान भी बहुत लिए। फिल्म के लिए कहानी, निर्देशक, कास्टिंग सब बढ़िया था। लेकिन, दोस्ती की खातिर ही उन्होंने फिल्म में एक खास रोल के लिए रेखा को न्यौता दे डाला। अब फिल्म में रेखा हो और दोनों हीरो टीना मुनीम पर मरते हों, बात कुछ हजम हुई नहीं। और, क्या क्या हुआ फिल्म ‘दीदार ए यार’ की मेकिंग में, आज का बाइस्कोप इसी पर है।
एक ही दिन रिलीज हुईं ‘स्टार’ और ‘दीदार ए यार’
फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप लिखने के लिए इस कॉलम के प्रशंसकों ने ही मुझे बाध्य किया। सुबह से मैंने मन बनाया था कुमार गौरव के करियर की एक अहम फिल्म ‘स्टार’ की मेकिंग लिखने का। इसके निर्देशक विनोद पांडे से इस पर लंबी बात भी हुई। फिल्म में विनोद खन्ना को साइन करने की कोशिशों पर बात हुई। बात हुई कि कैसे विनोद खन्ना अपनी पत्नी से लड़ने झगड़ने के बाद अपने एक दोस्त कर्नल कपूर के घर रहने लगे थे।
उस दौर की सारी हीरोइनें उनसे मिलने इसी फ्लैट पर आतीं और कैसे विनोद खन्ना लोगों को परेशान करने के लिए बैठने की जगह पर एक ऐसा खिलौना चद्दर के नीचे छुपा देते, जिस पर बैठते ही तेज आवाज निकलती और बैठने वाला नरवस हो जाता। लेकिन, फेसबुक पर तमाम लोगों ने ‘स्टार’ के मुकाबले ‘दीदार ए यार’ के बाइस्कोप को तरजीह दी है। तो जनता की पसंद सर माथे पर रख शुरू करते हैं फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप। इस किस्से में कुछ उम्मीदें हैं, कुछ फरियादें हैं। कुछ उसूलों की बातें हैं और कुछ किस्मत की निकली बारातें हैं।