पोखरा काठमांडू और विराटनगर तक पहुंची रेल ,पढ़ें पूरी खबर
नई दिल्ली,VON NEWS. तिब्बत के रास्ते नेपाल तक रेललाइन बिछाने की चीन की योजना के पीछे उसकी मंशा नेपाल में परिवहन ढांचा को विकसित करने के साथ ही अपना तंत्र मजबूत करना भी है। नेपाल के अनेक आर्थिक विशेषज्ञ यह जानना चाहते हैं कि नेपाल आखिर चीन को क्या निर्यात करेगा? क्या नेपाल सरकार ने यह अध्ययन कराया है कि कोलकाता पोर्ट से आने वाली वस्तुओं और चीन से तिब्बत होकर सड़क और भविष्य के रेल से आने वाली वस्तुओं के दाम एक जैसे रह पाएंगे।
रेल मार्ग का निर्माण करना केरुंग काठमांडू से कहीं ज्यादा आसान : आशंका तो पूरी यही है कि चीन के रास्ते आने वाला सामान महंगा ही होगा। अगर चीन केवल व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारतीय सीमा तक रेल चाहता है, तो उसे नाथुला दर्रा वाले मार्ग पर विचार करना चाहिए।
यहां केवल 300 किमी की दूरी पूरी कर जलपाईगुड़ी से तिब्बत सीमा तक पहुंचा जा सकता है। यहां की ऊंचाई भी चार हजार मीटर है, जहां से रेल मार्ग का निर्माण करना केरुंग काठमांडू से कहीं ज्यादा आसान है और इस पथ का नेपाल को भी लाभ होगा।
नेपाल को रेलवे के विकास में सहयोग करना चाहिए : वर्तमान में नेपाल के तीव्र गति विकास के लिए नेपाल भारत आपसी संबंधों के लिए और भारत के खुद के सामरिक आर्थिक हितों के लिए नेपाल को रेलवे के विकास में सहयोग करना चाहिए। जयनगर जनकपुर बर्दीवास रूट को पथलैया तक विस्तार देना और इसे रक्सौल बीरगंज हेठौड़ा काठमांडू के बनने वाले रूट से जोड़ देना चाहिए।
ईटहरी को पथलैया से और धनगढ़ी को काठगोदाम से यदि जोड़ दिया जाए तो नेपाल के तराई के रास्ते यह दिल्ली और पूवरेत्तर भारत की दूरी को काफी हद तक कम कर सकता है। विराटनगर को धरान और ईटहरी को काकरभिट्टा से ऐसे ही उत्तर प्रदेश की सीमा नौतनवा से भैरहवा और वहां से पोखरा या फिर रूपईडीहा नेपालगंज रोड होते नेपालगंज तक ट्रेन जा सकती है।