वॉयस ऑफ़ नेशन की खबर पर मोहर :राज्यसभा में NDA का आंकड़ा 100 के पार,पलड़ा हुआ भारी

नई दिल्ली : वॉयस ऑफ़ नेशन की खबर पर फिर मोहर लग गयी है वॉयस ऑफ़ नेशन ने पूर्व में ही खबर प्रकाशित कर दी थी वर्ष २०२० में भाजपा का राज्यसभा में बहुमत हो जायेगा .
देश के आठ राज्यों की 19 सीटों पर हुए राज्यसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन  8 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है. अब राजग की संख्या 100 के पार हो गई है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के राज्यसभा में पहले 90 सदस्य थे. अब 245 सदस्यीय उच्च सदन में उसकी संख्या बढ़कर 101 हो गई है. भाजपा के पास राज्यसभा में अब 86 सीटें और कांग्रेस के पास महज 41 सीटें हैं.

अगर अन्नाद्रमुक (09), बीजद (09), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (06) जैसे दलों का समर्थन और कई संबद्ध नामांकित सदस्यों का समर्थन गिना जाता है तो मोदी सरकार के समक्ष वहां किसी गंभीर संख्यात्मक चुनौती का सामना करने की चुनौती नहीं है. चुनाव आयोग ने 61 सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव कराने की घोषणा की थी, जिनमें से 55 सीटों पर मार्च में चुनाव होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसमें देरी हुई. पहले ही 42 सदस्य निर्विरोध चुने गये थे और शुक्रवार को 19 सीटों पर हुए चुनाव में से भाजपा ने आठ सीटों, कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस ने चार-चार सीटों और तीन अन्य ने जीत दर्ज की.

मध्य प्रदेश और गुजरात में कांग्रेस के कई विधायकों के दलबदल के कारण भाजपा ने अपनी संख्या के बल पर कुछ और सीटें जीतीं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने 17, कांग्रेस ने नौ, भाजपा के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने तीन,बीजद और तृणमूल कांग्रेस ने चार-चार, अन्नाद्रमुक और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम ने तीन-तीन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राजद और टीआरएस ने दो-दो और शेष सीटें अन्य ने जीतीं.

इन नये 61सदस्यों में से 43 पहली बार चुने गये है जिनमें भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं. दोनों लोकसभा के सदस्य थे, लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई भी राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं.

ऊपरी सदन में विपक्ष का संख्या बल अधिक होने के कारण पहले कार्यकाल में मोदी सरकार के विधायी एजेंडे को संसद में अक्सर अड़चनों का सामना करना पड़ता था और पहले कुछ सालों में भाजपा की तुलना में कांग्रेस के पास अधिक संख्या थी. हालांकि भाजपा ने विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया और कांग्रेस के हाथ से कई राज्य निकल गये जिससे सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या में धीमी लेकिन लगातार वृद्धि हुई.

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