गांव तक पहुंचा कोरोना तो बदतर हो जाएंगे हालात, सभी प्रवासियों का रैपिड टेस्ट क्यों नहीं कर सकतेः हाईकोर्ट
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि आईसीएमआर की जो गाइडलाइन के अनुसार ही टेस्ट किए जा रहे हैं.
नैनीताल. कोरोना वायरस, कोविड-19, के प्रवासियों के साथ अब तक सुरक्षित रहे पहाड़ी ज़िलों तक पहुंच जाने को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट सख़्त रुख अपना रहा है. इस मामले में एक दिन बाद सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस अगर राज्य के गांव तक पहुंच जाएगा तो हालत बहुत ख़राबर हो जाएगी. हाईकोर्ट ने राज्य और केन्द्र सरकार से पूछा है कि क्यों न राज्य में आने वाले लोगों का रैपिड टेस्ट बॉर्डर पर ही हो जाएं? कोर्ट ने दोनों सरकारों को इस बिन्दु पर 18 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है. आज दिए गए जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं दिखा.
जवाब से संतुष्ट नहीं कोर्ट
बता दें कि बीते बुधवार को इस मामले पर दायर एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने थर्मल स्कैनिंग को नाकाफ़ी बताया था और केंद्र और राज्य सरकार से पूछा था कि क्या एंटिजन टेस्ट और रैपिड टेस्ट करवाए जा सकते हैं? आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि आईसीएमआर की जो गाइडलाइन के अनुसार ही टेस्ट किए जा रहे हैं.
राज्य सरकार ने जवाब में कहा कि उन्ही लोगों के टेस्ट कर रहे हैं जिनमें लक्षण मिल रहे हैं और अन्य लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग कर उन्हें क्वारंटीन किया जा रहा है. केन्द्र सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दिया कि एंटीजन टेस्ट किट तैयार की जा रही है, उसके आने के बाद टेस्ट किए जाएंगे.
अभी ज़रूरी हैं टेस्ट
कोर्ट ने दोनों सरकारों से पूछा क्यों न सभी आने वाले लोगों के रैपिड टेस्ट हों. अगर अभी नहीं होंगे तो आने वाले दिनों में गांवों की दशा बुरी हो जाएगी.
बता दें कि सचदानंद डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि राज्य से करीब 40,000 बाहरी मज़दूर अपने घर जाना चाहते हैं और राज्य के बाहर से यहां के 2 लाख लोग वापस आना चाहते हैं. याचिका में कहा गया है कि इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया है कि जो प्रवासी वापस आ रहे हैं उनकी जांच नहीं हो रही है जिसके चलते पहाड़ी ज़िलों में भी कोरोना फैलने का खतरा बना हुआ है.