कोरोना संकट ने झारखंड में रोजगार संकट को 6 गुना बढ़ाया!
रांची. कोरोना संकट (Corona Crisis) ने झारखंड में रोजगार संकट को 6 गुना बढ़ा दिया है. प्रदेश में मार्च की तुलना में अप्रैल में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) करीब छह गुना बढ़ गई है. मार्च में बेरोजगारी दर 8.2 फीसदी थी, जो अप्रैल में बढ़कर 47.1 फीसदी हो गई है. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है.
बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से भी दोगुनी
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक एक महीने से अधिक के लॉकडाउन काल में झारखंड की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत 23.5 फीसदी से भी दोगुनी हो गई है. जबकि मार्च में यह राष्ट्रीय औसत 8.7 फीसदी से आधा फीसदी कम 8.2 फीसदी था. अप्रैल की बेरोजगारी दर के मामले में झारखंड केवल तमिलनाडु और पुडुचेरी से ही पीछे है. पड़ोसी राज्य बिहार में भी बेरोजगारी दर अप्रैल में झारखंड से कम रही है. वहां यह दर 46.6 फीसदी रही है.
‘आंकड़ें हैरत करने वाले नहीं’
मानव विज्ञानी डॉ विजयप्रकाश शर्मा के मुताबिक ये आंकड़ें हैरत करने वाले नहीं हैं. राज्य में लॉकडाउन के कारण उद्योग, दुकान और निर्माण योजनाएं बंद हैं. सब्जी, रेहड़ी और छोटे-छोटे स्वरोजगार करने वाले लोगों के सामने रोटी की समस्या पैदा ही गई है.
‘एक महीने में इतना उछाल समझ से परे’
अर्थशास्त्री हरीश्वर दयाल का कहना है कि सीएमआईई के ये आंकड़ों महज अनुमान हैं. हालांकि ये भी सच है कि प्रदेश में बरोजगारी बढ़ी है. लेकिन एक महीने में इतना उछाल समझ से परे है. अर्थशास्त्री रमाकांत अग्रवाल की माने तो लॉकडाउन के कारण लघु उद्योग बंद हो गये हैं. इससे ज्यादा लोग बेरोजगार हुए हैं. सरकार ने ग्रामीण स्तर पर रोजगार पैदा करने के लिए योजनाओं को लॉन्च किया है. लेकिन शहरी स्तर पर यह बाकी है.
सरकार ने रोजगार देने के लिए लॉन्च की तीन योजनाएं
बता दें कि राज्य लौट रहे प्रवासी मजूदरों को रोजगार देने के लिए झारखंड सरकार ने हाल में तीन महत्वाकांक्षी योजनाओं को लॉन्च किया है. पोटो हो खेल विकास योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना के जरिये 26 करोड़ मानव कार्यदिवस सृजित करने का दावा किया गया है.