कोविड-19 से निपटने में कितना कारगर ‘रैपिड टेस्ट
नई दिल्ली,VON NEWS: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के 4000 से ज्यादा मामले अब तक सामने आ चुके हैं। यह वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका को बढ़ा रहा है। यदि कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं रोका गया तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि देश में कोरोना के ज्यादा टेस्ट होंगे।
वहीं केरल सरकार ने रैपिड टेस्ट की घोषणा की है जो कि शीघ्र ही परिणाम सुनिश्चित करेगा और वो भी आधे घंटे में। केरल सरकार को इसके लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की मंजूरी मिल गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अपने हालिया जारी बयान में कहा है कि आइसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे द्वारा स्वीकृत किट का उपयोग करते हुए परीक्षण किया जाएगा।
ऐसे समझिए रैपिड टेस्ट : व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार का वायरल संक्रमण हुआ है या नहीं, यह जानने के लिए रैपिड टेस्ट किया जाता है। जब कोई रोगाणु व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है तो वायरस की प्रतिक्रिया स्वरूप शरीर एंटीबॉडीज जारी करता है। रैपिड टेस्ट इन एंटीबॉडीज को रक्त, सीरम या प्लाज्मा नमूनों में पता लगाकर के संक्रमण की पहचान करता है। आमतौर पर महामारी के दौरान वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जांच के लिए इस टेस्ट को किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यह सामान्य टेस्ट है और व्यक्ति के ब्लड सैंपल से किया जा सकता है। साथ ही इसके नतीजे महज 10 से 30 मिनट में आ जाते हैं। यह काफी कम कीमत में हो सकता है।
आइसीएमआर का नजरिया : इस तरह की महामारी में रैपिड टेस्ट बेहद ही कारगर सिद्ध हो सकता है, लेकिन यह सार्स-सीओवी2 संक्रमण की पुष्टि करने वाला टेस्ट नहीं है जो कि कोरोना वायरस संक्रमण का कारक बनता है। आइसीएमआर ने 28 मार्च को जारी अपने दिशानिर्देशों में साफ कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी किट की सिफारिश नहीं की जाती है। यह प्राथमिक स्क्रीनिंग टेस्ट है। यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है तो यह सार्स-सीओवी2 का संकेत देता है। वहीं नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट आने पर भी कोविड-19 के संक्रमण से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इसलिए केरल में उपयोग : केरल के स्वास्थ्य विभाग द्वारा रैपिड टेस्ट का उपयोग समुदाय के भीतर तेजी से जांच करने और संदिग्ध संक्रमण वाले लोगों की पहचान के लिए किया जा सकता है। उन्हें निगरानी में रखा जा सकता है और यदि आवश्यकता हो तो कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए पीसीआर टेस्ट भी कराया जा सकता है। राज्य का स्वास्थ्य विभाग अधिक तेजी से रैपिड एंटीबॉडी किट हासिल करने की योजना बना रहा है, जिसका उपयोग विशेषरूप से कासरगोड जैसे जिलों में किया जा सकता है, जहां बड़ी संख्या में कोरोना वायरस के मामलों की पुष्टि हुई है।
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