दूरदर्शन ने रामनवमी के दिन दिखाया दशरथ निधन का एपीसोड!
नई दिल्ली,VON NEWS: नवरात्र का अंतिम दिन..लोग लॉकडाउन में हैं। घरों में ही कन्या पूजन के नाम की राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में दे रहे थे। घर-घर में धूप, दीप और हवन के साथ राम जन्म के उत्साह का माहौल था। इस भक्तिरस में और डूबने तथा उत्साह बढ़ाने के लिए नौ बजते ही टेलीवीजन ऑन किया जाता है। पहला दृश्य ही घर में सारे उत्साह पर पानी फेरकर माहौल को गमगीन कर देने जैसा था.. रामजन्म उत्सव के समय राजा दशरथ की अंत्येष्टि हो रही थी।
लोगों की जबरदस्त मांग पर दूरदर्शन ने धारावाहिक रामायण का प्रसारण शुरू किया था ताकि लॉकडाउन में लोग धैर्य..संयम बनाएं रखें..इससे प्रेरित होकर अच्छा समय गुजार सकें। 2 अप्रैल, गुरुवार सुबह के प्रसारण में जो हुआ,उसमें कहीं न कहीं दूरदर्शन की दूरदृष्टिता और योजना की कमी फिर खली। ऐसा फिल्म व टीवी समीक्षकों का भी मानना है।
दर्शकों के प्रति दूरदर्शन इतना निरपेक्ष कैसे हो सकता है
दर्शकों की भावनाओं से जुड़े इस उपक्रम पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित समीक्षक विनोद अनुपम कहते हैं कि सारा देश घरों में रामजन्म का उत्साह मना रहा था, लोग परिवार में पूजा पाठ कर आनंद जाहिर कर रहे थे, ऐसे समय में रामायण के सवा घंटे के प्रसारण में महाराज दशरथ का अंतिम संस्कार ही होता रहा। रामनवमी पर राम जन्म की खुशी में ये कष्ट की घड़ी हर किसी को गमगीन कर रही थी।
सोचिए.. पूरा देश भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी.. सुनना चाह रहा था और दूरदर्शन पर शोक का करुण क्रंदन गूंज रहा था। सवाल उठ रहे हैं कि अपने प्रतिबद्ध दर्शकों के प्रति दूरदर्शन इतना निरपेक्ष कैसे हो सकता है?
किसी भी कार्यक्रम के प्रसारण के संयोजन के समय, टाइमिंग और विषय-वस्तु को ध्यान में रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। व्यावसायिक चैनलों पर शायद ही कोई त्योहार होता है, जिसे ध्यान में रखकर कहानी नहीं गढ़ी जाती हो। रामायण के लिए रामनवमी से बड़ा क्या अवसर हो सकता था, लेकिन लगता है दूरदर्शन के अधिकारियों के काम करने की शैली में ऐसी कल्पनाशीलता को जगह ही नहीं मिलती है
दूरदर्शन के पास दूरदृष्टि का अभाव है
टीवी कार्यक्रमों पर लगातार लिखने वाले वरिष्ठ समीक्षक सुधीश पचौरी कहते हैं कि कोई मतलब नहीं था रामनवमी के दिन महाराज दशरथ की अंत्येष्टि का एपिसोड दिखाने का। यह सब दूरदर्शन की दूरदृष्टिता के अभाव का उदाहरण है। दूरदर्शन की ब्यूरोक्रेसी के पास कोई अधिकार ही नहीं है। बेचारे हैं वो लोग तो, सीधे सब कुछ मंत्रालय से तय होता है। नए प्रोग्राम प्रोड्यूस नहीं हो रहे हैं, वही पुराने दिखा रहे हैं,
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