गले-फेफड़ों को इन्फेक्शन से बचाएगा इन चीजों का इस्तेमाल
देहरादून, VON NEWS: आप सभी जानते हैं कि किसी भी तरह के वायरल संक्रमण से हमारा श्वसन तंत्र, खासकर एलवियोलाई (फुफ्फुस कोशिकाएं) सर्वाधिक प्रभावित होती हैं। ऐसे में श्वास-प्रश्वास की क्रिया को मजबूत करने के लिए नियमित रूप से सुबह-शाम प्राणायाम का अभ्यास जरूरी है। ऐसा कर हम अपनी सांसों के जरिये फेफड़ों में अधिक ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। जो लाल व श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या तो बढ़ाती ही है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत करती है। शरीर के सुरक्षा तंत्र में इन रक्त कोशिकाओं की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। खानपान का भी कोरोना संक्रमण के इस दौर में विशेष ख्याल रखें, ताकि आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत बना रहे। यह सलाह दे रही हैं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की योग ब्रांड एम्बेसडर दिलराज प्रीत कौर।
यह प्राणायाम प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही हृदय और मानसिक रोग, अनिद्रा, डिप्रेशन और क्रोध को शांत करने में मददगार है। मन की चंचलता दूर कर एकाग्रता बढ़ाता है। इससे मस्तिष्क की नसों को आराम मिलता है।
शांत और शुद्ध वातावरण में किसी भी तरह के आसन पर बैठकर अंदर गहरी सांस भरते हुए ॐ का उच्चारण करें। इससे प्राणायाम करने वाले सभी चक्र जागृत हो जाते हैं और सर्व रोगों का नाश होता है। इसके अभ्यास से मन शांत और शांति की अनुभूति होती है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ तन को स्फूर्ति मिलती है और अनिद्रा रोग दूर होता है।
कपालभाती प्राणायाम से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है, कब्ज, मोटापा, डायबिटीज, दिमाग संबंधी दिक्कतें, वजन, प्रजनन आदि कई प्रकार की बीमारियों में लाभ मिलता है। यह आतंरिक सिस्टम को मजबूत करने के साथ रोगों से लड़ने में भी सहायक है।
प्राण वायु के लिए भस्त्रिका प्राणायाम करें
दिलराज बताती हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर को प्राण वायु अधिक मात्र में मिलती है। इससे शरीर के सभी अंगों से दूषित पदार्थ बाहर निकल आते हैं। तेज गति से श्वास लेने और छोड़ने के क्रम में हम ज्यादा मात्र में ऑक्सीजन लेते हैं और कॉर्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं। यह प्रक्रिया फेफड़ों की कार्यक्षमता तो बढ़ाती ही है, हृदय में रक्त नलिकाएं भी शुद्ध और मजबूत बनती हैं। भस्त्रिका प्राणायाम करते समय हमारा डायाफ्राम तेजी से काम करता है, जिससे पेट के अंग मजबूत होकर सुचारू रूप से कार्य करते हैं और हमारी पाचन शक्ति सुदृढ़ होती है।
नाड़ी शोधन के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम को सबसे प्रमुख प्राणायाम माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से नाड़ी शोधन होने के साथ शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिलती है। जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के साथ ही मन भी प्रसन्न रहता है। साथ ही असंख्य बीमारियों का धीरे-धीरे नाश होने लगता है।
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