Coronavirus पर इमरान खान ने रोया दुखड़ा तो पीएम मोदी ने दिखाया रास्ता
नई दिल्ली,VON NEWS: कोरोना वायरस दक्षिण एशिया में लगातार अपने पांव पसार रहा है। बीते दो सप्ताह में पाकिस्तान और भारत में इसके मामलों में काफी इजाफा देखने को मिला है। वहीं इसी सप्ताह में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इसको लेकर अपने-अपने देशवासियों को संबोधित भी किया है। एक तरफ जहां पीएम मोदी ने गुरुवार को इससे से लड़ने के लिए पीएम मोदी ने जो रोड़मैप देशवासियों को दिखाया था तो वहीं दूसरी तरफ मंगलवार को पाकिस्तान के पीएम ने इसको लेकर अपना गरीबी का दुखड़ा रोया था।
इस लिहाज से इन दोनों नेताओं के संबोधन में जमीन आसमान का अंतर था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि दोनों देशों में इसके मरीजों के आंकड़े में भी दोगुने का अंतर है।इसके अलावा पीएम मोदी ने ही सार्क देशों में इसके प्रकोप को रोकने के लिए सबसे पहले पहल करते हुए सभी सदस्य देशों से वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी और एकजुट होकर उपाय करने को कहा था।
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पीएम मोदी ने जिस तरह से उन्होंने देशवासियों का इससे लड़ने के लिए हौंसला बढ़ाया है वह तारीफ के काबिल है। उन्होंने जहां इस संबोधन में देशवासियों का भरोसा जीता है और उनपर जो विश्वास जताया है उसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जनता कर्फ्यू की अपील इसका एक जीता जागता उदाहरण है।
इसकी सबसे खास बात ये है इसको देश की जनता खुद अपने मन से करेगी। इसके लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं होगी। पीएम मोदी के इस संबोधन में जहां इससे लड़ने की तैयारी के साथ-साथ सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों का भी जिक्र था।
अपने संबोधन में उन्होंने आने वाले नवरात्र के नौ दिनों का भी जिक्र और देश के हर वर्ग से सहयोग की अपील की। उन्होंने इसमें अमीर वर्ग से भी अपील की कि वो उनके यहां पर काम करने वालों द्वारा कोरोना से पीडि़त होने या एहतियातन छुट्टी करने पर उनकी तनख्वाह न काटें।
इसके अलावा उन्होंने ज्यादातर लोगों से घर से ही काम करने की अपील भी की। अपने संबोधन में उन्होंने इकनॉमिक टास्क फोर्स का भी जिक्र किया जो भविष्य में इसपर नजर रखेगी और समय-समय पर इसके जरूरी उपाय भी करेगी।
इमरान खान के संबोधन में कहीं न कहीं अपनी ही जनता पर विश्वास की कमी साफतौर पर दिखाई दी। अपने संबोधन में वह कई बार ये दोहराते दिखाई दिए कि घबराना नहीं हैं। हालांकि ये बात सही हो सकती है लेकिन जो डर सरकार के मुखिया की तरफ से जनता में व्याप्त कर दिया गया वह अपने आप में काफी है।
आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि इन दोनों नेताओं के संबोधन में एक चीज और समान थी, वो थी कालाबाजारी करने वालों पर नकेल कसना। दोनों ही नेताओं ने इसको लेकर कानूनी प्रावधानों का जिक्र करते हुए कालाबाजारी करने वालों को चेतावनी भी दी थी।
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