लखनऊ की अदालतों में कोरोना वायरस का नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
लखनऊ, VON NEWS: कोरोना वायरस की रोकथाम एवं दिशा निर्देशों को लेकर बुधवार को जिला अदालतों शाम तक ऊहापोह की स्थिति बनी रही। हाईकोर्ट ने 16 मार्च को निचली अदालतों के लिए सभी जिला जजों को पत्र भेज कर 21 मार्च तक नियमित वाद की सुनवाई न करने के निर्देश दिए थे। इसके चलते बाद में जिला एवं सत्र अदालत में लंबित आवश्यक मामलों की सुनवाई जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार ओझा द्वारा की गई। अब 21 मार्च तक नियमित वाद की सुनवाई नहीं होगी। वहीं, जिला अदालत में संक्रमण से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं दिखे।
हाईकोर्ट ने यह दिए थे दिशा-निर्देश
उच्च न्यायालय ने 16 मार्च को महानिबंधक के माध्यम से प्रदेश के सभी जनपदों के जिला जजों को पत्र भेजकर अनुपालन किए जाने को कहा गया था। इसमें सभी कोर्ट परिसरों को साफ-सुथरा किए जाने, सैनिटाइजर का छिड़काव कराने, थर्मल स्कैनिंग चेकअप के बाद ही किसी व्यक्ति को अदालत में प्रवेश देने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा सीएमओ व सीएमएस से सहायता करने को कहा गया है। दिशा निर्देशों के अनुसार नियमित मामलों की सुनवाई रोके जाने एवं इस दौरान आवश्यक मामलों की सुनवाई जनपद न्यायाधीश व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा किए जाने को कहा गया है।
दीवानी न्यायालय से लेकर पुराने उच्च न्यायालय तक वकीलों एवं वादकारियों के लिए बने शौचालय गंदे हैं। इससे संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।
बिना रोकटोक के अदालत आते रहे लोग
न्यायालय परिसर के कुछ द्वारों पर स्कैनिंग मशीन एवं मेटल डिटेक्टर लगे हैं। पुलिस बल भी तैनात रहता है। लेकिन लोग बेरोकटोक प्रवेश करते रहे। इस दौरान पुलिस, प्रशासन का कोई अधिकारी व चिकित्सा विभाग की ओर से कोई मौजूद नहीं था।
कुछ अदालतों में सुने गए नियमित एवं आवश्यक मामले
बुधवार को अदालत खुलने के बाद कुछ देर तक नियमित एवं आवश्यक मामलों की सुनवाई कुछ अदालतों में की गई तथा न्यायिक आदेश पारित किए गए। परंतु बाद में जनपद न्यायाधीश के निर्देशन पर आवश्यक मामलों को अन्य अदालत से उनके समक्ष प्रस्तुत कर सुनवाई हुई तथा नियमित वादों की सामान्य तिथि नियत कर नोटिस बोर्ड पर चस्पा की गई।
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