नैनीताल जू में भी हो सकेगा बाघों का प्रजनन
नैनीताल, VON NEWS : बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की वजह क्या है, वन्यजीव हिंसक क्यों हो रहे हैं, इसके आनुवांशिक और विभिन्न पहलुओं का पता लगाने के लिए नैनीताल जू में विशेष रिसर्च कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। इतना ही नहीं जू में बाघ का प्रजनन भी संभव हो पाएगा। सेंट्रल जू अथॉरिटी से जू के दस वर्षीय मास्टर प्लान को मंजूरी मिल गई है। अगले वित्तीय वर्ष से जू में विभिन्न राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, रिसर्च प्रोग्राम चलाने के साथ ही पक्षियों और जीवों के सफल प्रजनन की कवायद शुरू की जाएगी।
वन्यजीवों की प्रकृति में आ रहे बदलावों का पता लगाया जाएगा
प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष बड़ी चुनौती बन गया है। राज्य बनने के बाद सैकड़ों लोग वन्यजीव संघर्ष का शिकार हुए है। ऐसे में वन्य जीवों की प्रवृत्ति में आ रहे बदलाव और आनुवांशिक कारणों का पता लगाने के लिए वन्य जीवों पर विशेष अध्ययन किया जाएगा। जू निदेशक व डीएफओ बीजूलाल टीआर के अनुसार देश के अन्य हिस्सों में जहां बाघ व गुलदार है उन जगहों की अपेक्षा उत्तराखंड में संघर्ष के मामले ज्यादा है। सेंट्रल जू अथॉरिटी से 10 वर्षीय मास्टर प्लान को मंजूरी मिल चुकी है। इस मंजूरी के बाद अब बजट को लेकर भी दिक्कतें दूर होंगी।
मास्टर प्लान को सहमति मिलने के बाद अब जू में मौजूद पशु-पक्षियों का प्रजनन से हो पाएगा, जिसमें बाघ के प्रजनन पर जू प्रबंधन का विशेष ध्यान रहेगा। पूर्व में एक बार बाघ के प्रजनन की कोशिश तत्कालीन डीएफओ द्वारा की गई थी लेकिन सफल नहीं हो सकी। डीएफओ ने बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष और अगले मैटिंग सीजन में बाघ प्रजनन की कवायद शुरू की जाएगी। यदि प्रयोग सफल रहा तो यह जू के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
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