रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी घर ले गए

देहरादून,VON NEWS:  हरिद्वार के जिला समाज कल्याण कार्यालय में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां के दो कार्मिक रिटायर हुए तो अपने पटल के पेंशन और अनुदान संबंधी अभिलेख भी साथ ले गए। गंभीर यह कि जिला समाज कल्याण अधिकारी ने भी उनसे अभिलेख नहीं मांगे, न ही किसी तरह की कोई कार्रवाई की। यह मामला तब खुला जब, हरिद्वार के महाराजपुर कलां निवासी धीरज पाल ने आरटीआइ में जानकारी मांगी। इसके जवाब में जिला समाज कल्याण अधिकारी ने टका सा जवाब दे दिया कि जब रिटायर्ड कार्मिक अभिलेख लौटा देंगे, तब सूचना दे दी जाएगी।

आवेदक धीरज पाल ने इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी और विभागीय अपीलीय अधिकारी के पास अपील की। यहां से भी जब उन्हें सूचना नहीं मिली तो सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल के समक्ष स्पष्ट हुआ कि पटल सहायक ओम प्रकाश और विनोद तोमर ने रिटायरमेंट के बाद चार्ज भी नहीं सौंपा है। उनके हस्तगत जो फाइलें थी, वह भी कार्यालय में नहीं हैं। सुनवाई के दौरान यह भी पता चला कि फाइल वापसी को लेकर विनोद तोमर के पैतृक पते पर दो मई 2019 को पत्र भेजा गया था। मगर, इसका कोई जवाब नहीं दिया गया।

रिटायरमेंट पर कार्मिकों के सरकारी घर ले जाने के मामले को राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने गंभीरता से लिया, क्योंकि इस प्रकरण में विभागीय अपीलीय अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के आदेश के बाद समाज कल्याण अधिकारी ने क्या किया, इसका भी जवाब नहीं दिया गया। लिहाजा, आयोग ने मुख्य विकास अधिकारी विपिन तोमर को निर्देश दिए कि वह समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाएं। विभागीय कार्रवाई में आरटीआइ का प्रशिक्षण देना, उन्हें मौजूदा पद से हटाना, प्रतिकूल प्रविष्टि आदि शामिल हैं।

राज्य सूचना आयुक्त ने जिला समाज कल्याण कार्यालय की इस व्यवस्था पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने टिप्पणी की कि इस तरह कोई सभी कार्मिक रिटायरमेंट के बाद अभिलेख घर ले जाते रहेंगे और उनका दुरुपयोग किया जाएगा। साथ ही कहा कि जिला समाज कल्याण अधिकारी रणजीत सिंह बर्त्वाल का टका सा जवाब देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते, क्योंकि पूर्व में भी जिला समाज कल्याण अधिकारी को आरटीआइ से संबंधित प्रकरणों में कई बार चेतावनी जारी की जा चुकी है। आयोग ने निर्देश दिए कि जो फाइलें कार्यालय से गायब हैं, उनको लेकर एफआइआर दर्ज की जाए।

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