कानपुर के एक मौलाना को भी आतंकी जलीस ने दी थी बम बनाने की ट्रेनिंग

कानपुर,VON NEWS: मुंबई बम धमाकों में शामिल आतंकी डॉ.जलीस अंसारी उर्फ डॉक्टर बम के कानपुर में दो और मददगारों के नाम सामने आए हैं। इनमें एक चमनगंज का पेंटर और दूसरा बजरिया निवासी एक मौलाना है। जनवरी में मुंबई से भागकर कानपुर पहुंचे डॉक्टर बम ने पेंटर को रेलबाजार में मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन मुलाकात से पहले डॉक्टर एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। खुफिया एजेंसियां अब उस मौलाना और पेंटर की तलाश में जुटी हैं।

दिसंबर में पैरोल पर छूटकर मुंबई गया 68 वर्षीय डॉ. जलीस 16 जनवरी को वहां से फरार होकर कानपुर आया था, लेकिन अगले ही दिन फेथफुलगंज में एसटीएफ ने दबोच लिया। तलाशी में उसके पास मोबाइल फोन, डायरी, नोटबुक, करीब 48 हजार रुपये मिले थे। आरोपित लखनऊ व संतकबीर नगर स्थित अपने पुश्तैनी गांव होते हुए नेपाल के बुटवल जाने वाला था। वहीं से स्लीपर सेल सक्रिय कर मंसूबों को अंजाम देने वाला था।

पुलिस ने उसके दो मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल के जरिए यूपी के 17 संदिग्ध नंबर हासिल किए थे। सूत्रों के मुताबिक इसमें एक नंबर चमनगंज के पेंटर का है। जिससे जलीस पैरोल पर छूटने के बाद से लगातार जुड़ा था। पुलिस जांच में जुटी थी कि पता लगा कि उसकी बजरिया निवासी एक मौलाना से भी उसकी दोस्ती थी। पेंटर व मौलाना के माध्यम से वह कानपुर में नेटवर्क तैयार कर रहा था। अफसरों ने बताया कि जलीस के दोनों साथियों के खिलाफ और सुबूत जुटाए जा रहे हैं। साथ ही उनकी तलाश की जा रही है।

मौलाना को भी दी थी बम बनाने की ट्रेनिंग

30 वर्ष पहले लखनऊ में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान आतंकी जलीस की बजरिया के मौलाना से दोस्ती हुई थी। इसके बाद दोनों कई दिन तक साथ रहे। इस दौरान जलीस ने उसे बम बनाने की ट्रेनिंग भी दी थी और पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेने की सलाह दी थी।

2001 के दंगे में आरोपित है मौलाना

सूत्रों के मुताबिक डॉ. बम का दोस्त मौलाना वर्ष 2001 में कानपुर में हुए दंगे में आरोपित रहा था। कुछ वर्ष पूर्व जेल से छूटकर उसने मीट का कारोबार शुरू कर दिया था। जलीस के पकड़े जाने के बाद से मौलाना फरार है।

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