भराड़ीसैंण,VONNEWS:चटक धूप, सर्द हवा, आसपास की पहाड़ियों पर छितराई बर्फ और बादलों के बीच
भराड़ीसैंण पहुंची सरकार और विपक्ष नूरा कुश्ती में उलझ गए। गैरसैंण को राजधानी के रूप में देखने की हसरत को लेकर विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों का कूच कानून व्यवस्था का सवाल बन कर रह गया।
सत्ता की चहल पहल ने भराड़ीसैंण में पसरे लंबे सन्नाटे को तोड़ डाला है। लेकिन सत्ता की रौनक में जनता की आकांक्षाएं राजधानी का सपना देख रही हैं। हर जुबान पर ग्रीष्मकालीन राजधानी का सवाल है। उधर, सुदूर देहरादून से सरकारी लश्कर में शामिल मंत्री, विधायक, विधानसभा के कर्मचारी विधानसभा के भव्य और आलीशान इमारत के सामने खड़े होकर सेल्फी ले रहे हैं।
वे विधानभवन की वास्तुकला पर मुग्ध हैं और तस्वीरों में इन यादों को समेट लेने चाहते हैं। शायद गैरसैंण पहुंचने का यह मकसद यह भी है।
भराड़ीसैंण का ये विधानभवन मानो कह रहा कि आईए आपका स्वागत है
भराड़ीसैंण में सतह पर छोटे सवाल कौंध रहे हैं। क्या यहां पहुंचने वाले सभी लोगों के लिए जगह की व्यवस्था हो पाएगी? राजधानी बनेगी तो कितने लोगों का भार यह धरती सहन कर पाएगी? इस अनमने मौसम में रात कैसे कटेगी, यहां से आना जाना कैसे हो पाएगा? इन सवालों के बीच कुछ योजनाएं, कुछ तरकीबें भी सिर उठा रही हैं।
विधान भवन की सीढ़ियों पर खड़े पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज विधान भवन को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना बुन रहे हैं। महाराज के मुताबिक दो धाम के बुकिंग वाले यात्रियों को विधान भवन भी घुमाने के लिए लाया जाएगा। कर्णप्रयाग के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी मान रहे हैं कि सरकार जल्द ही इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करेगी। भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट भी उनसे सहमत हैं। विपक्ष एक सुर में कह रहा है कि सरकार कोई कदम तो उठाए।
भराड़ीसैंण की हवा खुनक पहले जैसी ही है। मौसम अपनी चाल चल रहा है और इसके बीच किसी फाइल को समेटता कोई अधिकारी अपनी ड्यूटी के सकुशल पूरी हो जाने की बाट जोहता हुआ धूप का एक कोना खोज रहा है। कुछ समय से खामोश रहा भराड़ीसैंण का ये विधानभवन मानो कह रहा कि आईए आपका स्वागत है।
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