पॉजीटिव एटीट्यूड से उपासना को मिली सफलता, जानें कैसे
नई दिल्ली,VON NEWS: उद्यमिता के क्षेत्र में कोई पारिवारिक पृष्ठभूमि न होने के बावजूद कभी जोखिम उठाने से नहीं डरीं। खुद का पॉजिटिव एटीट्यूड इन्हें प्रेरित करता रहा और उपासना टाकू देश की पहली मोबाइल वॉलेट कंपनी ‘मोबिक्विक’ की सह-संस्थापक बनीं। यह देश का पहला मोबाइल वॉलेट है, जो अब एक फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म के रूप में तब्दील हो चुका है। फिलहाल, इसका यूजर बेस 110 मिलियन के आसपास है, जिसे 250 मिलियन के करीब पहुंचाने का इरादा है। उपासना कहती हैं, मैं हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करती हूं और दूसरों को भी यही सलाह देती हूं।
मैं कश्मीर से हूं। घर में शिक्षा को काफी महत्व दिया जाता था। पिता जी फिजिक्स के प्रोफेसर थे। वैसे, तो मैं जीवन के अलग-अलग मोड़ पर कभी पायलट, कभी डॉक्टर, कभी पत्रकार, तो कभी इंजीनियर बनने का सपना देखा करती थी, लेकिन हाईस्कूल के बाद तय कर लिया कि इंजीनियर ही बनना है। जालंधर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग का कोर्स किया और आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई। वहां स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस एवं इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया।
मेरे बैच में सिर्फ 3 लड़कियां थीं। पढ़ाई के बाद मैंने सैन डिआगो स्थित एचएसबीसी से अपना करियर शुरू किया। वहां ‘लॉयल्टी प्रोग्राम्स’ के अलावा विभिन्न प्रोजेक्ट्स के सेल्स, फाइनेंस, रिस्क एवं ऑपरेशन संबंधी कार्य संभाले। बैंक की एनालिस्ट टीम का हिस्सा भी रही। अगली पारी ‘पेपैल’ से शुरू हुई। वहां पेमेंट स्पेस के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। बावजूद इसके आत्मसंतुष्टि नहीं मिल पा रही थी, तो मैंने भारत लौटने का निर्णय लिया।
मोबाइल पेमेंट वॉलेट की शुरुआत
2009 की शुरुआत में जब मैं देश लौटी, तो लोगों से मिलना-जुलना, आइडियाज पर मंथन चल रहा था। एक दिन किसी मित्र के माध्यम से बिपिन से मुलाकात हुई। वह स्टार्टअप लाना चाह रहे थे। मेरे मन में भी पेपैल की तरह भारत में मोबाइल वॉलेट सिस्टम जैसा कुछ नया प्रयोग करने की इच्छा थी। बस कैसे करना है, यह स्पष्ट नहीं था। मैंने बिपिन को उनके बिजनेस में सहयोग करने का फैसला लिया। आखिरकार फरवरी 2010 में अपने आइडिया पर विश्वास बढ़ा और मैंने बिपिन के स्टार्टअप ‘मोबिक्विक’ में बतौर सह-संस्थापक ज्वाइन कर लिया।
भारत में तब ई-कॉमर्स क्षेत्र विकसित ही हो रहा था, लेकिन स्मार्टफोन का चलन या बाजार संपूर्णता में विकसित नहीं हुआ था। पेमेंट गेटवे के क्षेत्र में भी विशेष प्रगति नहीं हुई थी। सीमित विकल्प के कारण अधिकतर लोग मोबाइल फोन रिचार्ज कराने के लिए 10-10 रुपये खर्च करते थे। वे नहीं जानते थे कि कैश से इतर भी ट्रांजैक्शन हो सकते हैं। मोबाइल वॉलेट की उपयोगिता की जानकारी नहीं थी। इसलिए हमने पहले एक रिचार्ज प्लेटफॉर्म के रूप में ‘मोबिक्विक’ को लॉन्च किया, जो जल्द ही मोबाइल वॉलेट में तब्दील हो गया।
अपार्टमेंट के दो कमरों में पड़ी नींव
मेरे ख्याल से अपना स्टार्टअप करने की अलग ही चुनौतियां हैं। हमने अपने अपार्टमेंट के दो कमरों में काम की शुरुआत की थी। वह मेरा घर भी था। यह वह दौर था, जब हमें अपने बिजनेस आइडिया को साबित कर दिखाना था। शुरुआत में जब मैं ‘मोबिक्विक’ का वित्तीय कार्यभार संभाल रही थी, तब खुद को साबित करने की चुनौती रही।
बड़े सपने देखें महिला उद्यमी
आज हालात थोड़े बदले हैं। निवेशक उद्यम में निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह एहसास और भरोसा दोनों हो चला है कि महिलाएं मेहनतकश होती हैं और कंपनी को ऊंचाई तक ले जाने का माद्दा रखती हैं। महिला उद्यमियों से भी यही कहना चाहूंगी कि बड़े सपने देखें। पूरे आत्मविश्वास के साथ दुनिया को अपनी सोच, आइडिया, टैलेंट, नॉलेज से अवगत कराएं। हमेशा अपने दिल की सुनें और दुनिया को जीत कर दिखा दें।
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