उत्तराखंड एससी-एसटी कार्मिकों का काम पर आने किया ऐलान
देहरादून VON NEWS: उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन जनरल ओबीसी की ओर से बुलाई गई बेमियादी हड़ताल का बहिष्कार करेगा। उनका कहना है कि एससी-एसटी कार्मिक रोज की तरह काम पर आएंगे। साथ ही उन्होंने सरकार को भरोसा दिया है कि वह हड़ताल का असर गैरसैंण बजट सत्र पर नहीं पड़ने देंगे। हालांकि फेडरेशन ने सरकार को आगाह भी किया है कि यदि दबाव में आकर पदोन्नति में आरक्षण को खत्म किया गया तो वह सभी सामूहिक धर्म परिवर्तन करने के साथ देशव्यापी आंदोलन भी खड़ा करने से भी नहीं चूकेंगे।
फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करमराम ने लैंसडौन चौक स्थित एक रेस्टोरेंट में अचानक बुलाई गई पत्रकार वार्ता में जनरल ओबीसी एसोसिएशन को आड़े हाथ लिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 16 का हवाला देते हुए कहा कि पदोन्नति में आरक्षण उनका मौलिक अधिकार है और रहेगा। क्योंकि हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के डबल बेंच के फैसले से पहले भी सुप्रीम कोर्ट का इस पर फैसला आ चुका है।
क्या उसका कोई आधार नहीं रह गया। उन्होंने कहा कि दीपक जोशी को अपना अधिकार क्षेत्र नहीं मालूम है, या वह खुद को सबसे ऊपर समझने लगे हैं। वह कैसे मुख्य सचिव को पत्र लिख सकते हैं कि जनरल-ओबीसी कार्मिकों की सत्र में ड्यूटी न लगाई जाए। यह कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। वह कुछ भी कर लें, एससी-एसटी कार्मिक सोमवार को रोज की तरह ड्यूटी करेंगे। सत्र के दौरान सरकार की हरसंभव मदद करेंगे।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कार्यालय में घुसने से रोका जा सकता है, लिहाजा उनकी सुरक्षा के इंतजाम भी किए जाएं। फेडरेशन ने आगाह भी किया है कि अभी वह सरकार के साथ हैं, लेकिन बिना आरक्षण पदोन्नति बहाल की गई तो वह भी आंदोलन पर जाने के साथ सामूहिक धर्म परिवर्तन करने को विवश होंगे। वहीं आगे की रणनीति पर फैसला जल्द होने वाले फेडरेशन के राष्ट्रीय अधिवेशन में लिया जाएगा।
चुनाव में निर्णायक होता है एससी-एसटी वर्ग
उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने जनरल ओबीसी एसोसिएशन के उस बयान का भी जवाब दिया है, जिसमें सरकार को चुनाव में ताकत दिखाने की बात कही गई है। फेडरेशन ने कहा कि वह भूल रहे हैं कि वह संख्याबल में अधिक जरूर होंगे, लेकिन चुनाव में निर्णायक एससी-एसटी वर्ग ही होता है।
फेडरेशन की बैठक में प्रांतीय अध्यक्ष करमराम ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण की मांग के साथ सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर में पहले पद से भी कोई समझौता नहीं होगा। पहला पद आरक्षित वर्ग को ही जाना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के बहकावे में है। हमारी मांग है कि ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए। उन्होंने पिछले दिनों उत्तराखंड सचिवालय एससी-एसटी संघ को मान्यता न देने का भी मुद्दा उठाया। कहा कि जब मान्यता प्राप्त संघों के बैनर का इस्तेमाल आरक्षण के विरुद्ध लड़ाई में किया जा रहा है तो उनके भी संगठन को मान्यता दी जाए।
बैठक में फेडरेशन के संरक्षक व पूर्व न्यायाधीश कांता प्रसाद, प्रांतीय उपाध्यक्ष रणवीर तोमर, प्रांतीय महामंत्री जीतेंद्र बुटोईया, प्रांतीय संगठन मंत्री गंभीर सिंह तोमर, जिलाध्यक्ष शिवलाल गौतम, सदस्य संरक्षक मंडल आशा टम्टा, रामवचन राजभर, दलित साहित्य अकादमी के अध्यक्ष जयपाल व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
आरक्षित वर्ग के दबाव में है प्रदेश सरकार
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनरल ओबीसी कर्मचारियों को उम्मीदें तोड़ दी हैं। शनिवार देर रात वार्ता से पहले उन्हें भरोसा था कि मुख्यमंत्री उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सकारात्मक निर्णय लेंगे, लेकिन कल की मुलाकात के बाद लगने लग गया है कि उत्तराखंड सरकार आरक्षित वर्ग के दबाव में है।
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि यह बात सभी को समझनी होगी कि सरकार समाज के अस्सी प्रतिशत लोगों की नाराजगी सहने को क्यों तैयार है। वह भी तब, जब बिना आरक्षण पदोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है।
जाहिर है, सरकार जनरल ओबीसी के उन तमाम सदस्यों की भावनाओं के विपरीत आरक्षित वर्ग के दबाव में पदोन्नति में लगी रोक को नहीं हटा रही है। अपने राजनैतिक हित को साधने के लिए प्रदेश की अस्सी प्रतिशत जनसंख्या के हितों की अनदेखी करने को तैयार दिख रही है। सरकार की चुप्पी तोडऩे के लिए मंगलवार को गैरसैंण का घेराव तय है। इसमें पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली व प्रांतीय कार्यकारिणी व जनपद देहरादून के जनरल ओबीसी कर्मचारी शामिल होकर सरकार को अपनी ताकत और संख्याबल का अहसास कराएंगे। अब यह लड़ाई कर्मचारी वर्ग की न होकर आम जनमानस से जुड़ते हुए एक जनआंदोलन के रूप में लड़ी जाएगी।
मंत्रियों-विधायकों को उनके क्षेत्रों में घेरेंगे
एसोसिएशन ने कहा कि यह विरोध केवल गैरसैंण सत्र तक ही नहीं रहेगा। अब जनरल ओबीसी वर्ग के कर्मचारी अपनी नौकरी की परवाह किए बिना मंत्रियों और विधायकों का उनके क्षेत्र में घेरेंगे। इसमें सिर्फ अधिकारी, कर्मचारी या शिक्षक नहीं, बल्कि उनके परिवार के सदस्य भी शामिल होंगे।
जिस विभाग में सभी जनरल-ओबीसी, वहां होगी तालाबंदी
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कहा कि बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर उनकी लड़ाई सरकार से है। न किसी किसी व्यक्ति या वर्ग से। जिन विभागों में सभी जनरल ओबीसी कार्मिक हैं, वहां तो तालाबंदी कर दी जाएगी। लेकिन जहां एक भी एससी-एसटी कार्मिक है और वह ड्यूटी करना चाहता तो उस न तो रोकेंगे और न ही टोकेंगे।
एसोसिएशन की रविवार को तहसील चौक स्थित होटल गौरव में हुई बैठक में बेमियादी हड़ताल की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। जिलों में गठित सचल दल से फोन पर बात कर तैयारियों के बारे जानकारी ली और हड़ताल में शामिल होने के लिए घोषणा पत्र भरने वाले जनरल ओबीसी कर्मचारियों का हौसला भी बढ़ाया गया। एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसार्ईं ने कहा कि बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर शुरू हुआ कर्मचारियों का आंदोलन अब पूरे जनरल ओबीसी वर्ग के हक की लड़ाई बन चुका है।
क्योंकि इसका असर आने वाली उन पीढ़ियोंपर भी पड़ेगा, जो सरकारी सेवा में आने वाले हैं। हमारा आंदोलन पूर्णत: शांतिपूर्ण है। सभी जिलों के पदाधिकारियों को भी यह हिदायत दी गई है कि वह ड्यूटी पर आने वाले एससी-एसटी कार्मिकों से सौहार्द के साथ पेश आएं। यदि वह ड्यूटी करना चाहते हैं तो वह बिल्कुल बाधा न डालें। उन्होंने यह भी साफ किया कि एसोसिएशन उन सभी विभागों में तालाबंदी करेगा, जहां केवल जनरल ओबीसी वर्ग के ही कर्मचारी हैं।
सुंदरलाल अध्यक्ष, विनय बने सचिव
उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ के आठवें द्विवार्षिक अधिवेशन में सुदंरलाल आर्य को अध्यक्ष और विनय रावत को सचिव चुना गया। पदाधिकारियों ने बताया कि बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर शुरू हो रही बेमियादी हड़ताल के बाद कार्यकारिणी का विस्तार किया जाएगा।
सदर तहसील के सभागार में रविवार को हुए अधिवेशन में दिनेश पंवार को वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रणवीर सिंह को कोषाध्यक्ष व नेलशन कुमार अरोड़ा को ऑडिटर चुना गया। अधिवेशन में महासंघ के प्रांतीय महामंत्री बनवारी सिंह रावत ने कहा कि कर्मचारियों को अपने अधिकारों के प्रति एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में हमें अपनी ताकत दिखानी है। अभी हमारी केवल एक ही मांग है, वह बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली के शासनादेश का। अधिवेशन में देहरादून जिले के राजस्व विभाग, शिक्षा, पशुपालन, जलागम, स्वास्थ्य समेत कई विभागों के कर्मचारी मौजूद रहे।
वाहन चालक संघ ने दी चक्काजाम की चेतावनी
राजकीय वाहन चालक संघ ने कहा है कि बेमियादी हड़ताल के दौरान कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई तो वह चक्काजाम कर देंगे। संघ के प्रांतीय महामंत्री संदीप मौर्य ने कहा कि अभी जनरल ओबीसी एसोसिएशन की बेमियादी हड़ताल को उनका नैतिक समर्थन है। यदि कर्मचारियों पर दमनात्मक कार्रवाई की गई तो राजकीय वाहन चालक संघ प्रदेश में चक्काजाम कर देगा। जनरल-ओबीसी कर्मचारियों को उनका हक देने में एक-एक दिन की देरी बर्दाश्त से बाहर होगी।
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