पहले एंबुलेंस को रास्ता दें फिर आप निकलें
देहरादून, VON NEWS: शहर में जाम की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कई बार तो 100 मीटर की दूरी नापने में इतना समय लग जाता है कि उतने में आप दो किलोमीटर का सफर कर लें। इन झंझावतों के बीच जल्द से जल्द मंजिल तक पहुंचने की होड़ में हम कई बार एंबुलेंस को भी रास्ता नहीं देते, जबकि संशोधित मोटर वाहन एक्ट में एंबुलेंस को रास्ता न देने पर 10 हजार रुपये जुर्माना डालने का प्रावधान है। कानून से इतर यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है कि जिंदगी के लिए जूझ रहे मरीज को पहले जाने दिया जाए। हो सकता है कि इससे हमें अपने गंतव्य तक पहुंचने में कुछ देर हो जाए, लेकिन किसी का जीवन इस देरी से ज्यादा कीमती है। कई बार एंबुलेंस में मौजूद मरीज अस्पताल पहुंचने में चंद मिनट की देरी के कारण दम तोड़ देता है। इसलिए पहले एंबुलेंस को रास्ता दें, फिर आप निकलें।
कार्रवाई नहीं पर्देदारी पर जोर
एक तरफ तो डीआइजी शहर में अपराध पर लगाम कसने के लिए तमाम कसरत कर रहे हैं। शहर में रात के समय चोरी, लूटपाट जैसी आपराधिक घटनाएं न हों, इसके लिए उनका रात्रि गश्त पर विशेष फोकस है। इससे रात के समय होने वाले अपराधों में कमी भी आई है। वहीं, थाना-चौकियों के इंचार्ज इसके उलट किसी वारदात के बाद कार्रवाई करने से बचने में अपनी ऊर्जा खपा रहे हैं। बीते दिनों ही ऐसी एक घटना सामने आई। शहर के एक इलाके में नकाबपोश बदमाशों ने दो महिलाओं को पकड़ने का प्रयास किया। इसकी शिकायत क्षेत्र की पार्षद सहित अन्य लोगों ने स्थानीय थाने में की, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई तो दूर अब तक मुकदमा भी नहीं लिखा। मंशा साफ है कि घटना की जानकारी आला अधिकारियों के कानों तक न पहुंचे। क्योंकि, घटना उजागर हुई तो उसकी तह तक जाने और आरोपितों को पकड़ने का दबाव भी बढ़ जाएगा।
फीस मोटी, सुरक्षा में कोताही
दून में 650 के आसपास स्कूल-कॉलेज हैं। लेकिन, पढ़ाई के नाम पर मोटी फीस वसूल रहे अधिकांश स्कूल-कॉलेज छात्रों की सुरक्षा को लेकर उतने गंभीर नहीं हैं। अग्निकांड जैसी घटनाओं से निपटने का सामथ्र्य भी कम ही संस्थानों के पास है। अधिकतर स्कूल-कॉलेजों में तो फायर फाइटिंग के नाम पर सिर्फ रेत से भरी दो-चार लाल रंग की बाल्टियां ही नजर आती हैं। बीते दिनों डीआइजी साहब ने इस पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए स्कूल-कॉलेजों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया। पुलिस का नोटिस मिलते ही कई स्कूल-कॉलेजों ने तो फटाफट व्यवस्था चाक-चौबंद कर ली। लेकिन, तमाम स्कूल अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। डीआइजी ने नोटिस के साथ ही व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को एक माह का समय दिया था। जल्द ही यह मियाद पूरी होने वाली है। यही वजह है कि स्कूल-कॉलेज टेंशन में हैं। कुछ ने तो समय बढ़ाने के लिए सिफारिश भी की है।
सड़क खोदकर बढ़ा रहे खतरा
दून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए इन दिनों हर तरफ काम जोरों पर चल रहा है। लेकिन, किसी सड़क को अलग-अलग कार्य के लिए बार-बार खोदने का अधिकारियों का लॉजिक समझ से परे है। अब जीएमएस रोड को ही ले लीजिए, यह सड़क पिछले छह महीने में छह बार खोदी और बनाई जा चुकी है। पहले सड़क को दोनों किनारे पर नाली बनाने के लिए खोदा गया था। यह काम पूरा होने के बाद पूरी सड़क ठीक की गई। इसके बाद सड़क को केबिल डालने व अन्य कार्यों के लिए चार बार खोदा गया। कई माह तक परेशानी झेलने के बाद अब लोग इस सड़क पर ठीक से चल पा रहे थे। लेकिन, बीते दिनों एक बार फिर यह सड़क जगह-जगह पर खोद दी गई। ये गड्ढे रात के समय किसी बड़े हादसे की वजह भी बन सकते हैं। क्योंकि, रात के समय इस सड़क पर अंधेरा रहता है।
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