मेरठ,VON NEWS:
“मेरठ“ में स्वाइन फ्लू बेहद खतरनाक हो गया है। शुक्रवार को स्वाइन फ्लू से तीन और लोगों की मौत हो गई है, जबकि 17 पीएसी जवानों समेत 19 लोगों को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। छटी वाहिनी पीएसी के 441 जवानों को टेमीफ्लू की दवा दी गई है। स्वास्थ विभाग में हड़कंप मच गया है। लखनऊ तक गूंज पहुंच गई है। लखनऊ से 3 सदस्य टीम आज मेरठ आ रही है जो यहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेगी।
मृतकों में लिसाड़ी गेट की रहने वाली 30 वर्षीय महिला और निजी अस्पतालों में भर्ती 62 और 64 वर्षीय 2 व्यक्ति हैं जो सरधना और प्रभात नगर के रहने वाले थे। स्वाइन फ्लू से मेरठ जिले में मरने वालों की संख्या अब तक नौ हो गई है। इनके परिवार के अन्य सदस्यों को टेमी फ्लू की दवाइयां दी गई हैं।
दूसरी तरफ 17 पीएसी जवानों को “स्वाइन फ्लू“ की पुष्टि हुई है। 27 पीएसी जवानों को मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनके सैंपल जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजे गए। इनमें से 17 की रिपोर्ट पॉजिटिव और 10 कि रिपोर्ट नेगेटिव आई है। 13 पीएसी जवान और कर्मचारी गुरुवार रात भर्ती कराए गए थे, जबकि 14 जवान शुक्रवार सुबह भर्ती कराए गए हैं। इन्हें आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। इन्हें खांसी जुकाम और बुखार की शिकायत है।
इनसे पहले मंगलवार और बुधवार को दो पीएसी के जवानों को स्वाइन फ्लू हो चुका है, इसी की वजह से यह डर बना हुआ है कि जिस जवान या कर्मचारी को स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण हैं उसकी जांच मेडिकल कॉलेज में करा ली जाए। अब कुल 29 जवान मेडिकल में भर्ती हैं। इनके अलावा 2 अन्य लोगों को भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इस साल मेरठ में अब तक 71 लोगों को स्वाइन फ्लू हो चुका है।
मेडिकल में 40 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया। सुभारती और मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज में 10-10 बेड के आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल में पहले से 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बना हुआ है।
अस्पतालों में बनाएं अलग से स्वाइन फ्लू वार्ड: सीएमओ
सीएमओ “डॉ. राजकुमार” ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम उन मरीजों की निगरानी करती है, जिन्हें स्वाइन फ्लू होता है। कई बार निजी अस्पतालों से स्वाइन फ्लू के मरीजों की सूचना समय से नहीं मिल पाती है। ऐसे में कई मरीजों में स्वाइन फ्लू होने का पता मृत्यु के बाद चला। इसलिए निजी अस्पताल के प्रबंधकों और संचालकों के साथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में बैठक की गई और उन्हें हिदायत दी गई है कि स्वाइन फ्लू की मरीजों की समय से सूचना दें। साथ ही स्वाइन फ्लू वार्ड बनाए ताकि बाकी मरीज स्वाइन फ्लू से बच सकें।
या कि स्वास्थ्य विभाग की टीम उन मरीजों की निगरानी करती है, जिन्हें स्वाइन फ्लू होता है। कई बार निजी अस्पतालों से स्वाइन फ्लू के मरीजों की सूचना समय से नहीं मिल पाती है। ऐसे में कई मरीजों में स्वाइन फ्लू होने का पता मृत्यु के बाद चला। इसलिए निजी अस्पताल के प्रबंधकों और संचालकों के साथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में बैठक की गई और उन्हें हिदायत दी गई है कि स्वाइन फ्लू की मरीजों की समय से सूचना दें। साथ ही स्वाइन फ्लू वार्ड बनाए ताकि बाकी मरीज स्वाइन फ्लू से बच सकें।
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