छोटे बच्चों को भी हो सकती है एसिडिटी की समस्या,
VON NEWS: कई बार बच्चे बार-बार उल्टी करते हैं और लगातार रोते रहते हैं। मांएं अक्सर ऐसी स्थितियों से वाकिफ होती हैं इसलिए बच्चे की पीठ ठोक कर या पानी पिलाकर शांत करने की कोशिश करती हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि ये लक्षण एसिडिटी के हो सकते हैं? जी हां, आमतौर पर एसिडटी को बड़ों की बीमारी समझा जाता है। मगर आजकल की लाइफस्टाइल और खानपान का असर हमारी सेहत पर इस कदर पड़ रहा है, कि छोटे-छोटे बच्चों को भी वो बीमारियां होने लगी हैं, जो पहले सिर्फ बड़ों की बीमारियां समझी जाती थीं। बच्चों में एसिडिटी की समस्या को नजरअंदाज करना उन्हें और आपको काफी परेशान कर सकता है। इसलिए आज हम आपको इसी बारे में कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं।
क्यों होती है “एसिडिटी“?
हमारे पेट के प्रवेश द्वार पर एक खास वॉल्व लगा होता है, जो मांसपेशियों के छल्ले से बना होता है। इसे लोवर एसोफेगल स्फिंक्टर (lower esophageal sphincter या LES) कहते हैं। आमतौर पर जैसे ही हम कुछ खाते हैं, तो ये वॉल्व खुलता है और भोजन के अंदर चले जाने के बाद अपने आप बंद हो जाता है। मगर कई बार भोजन को अंदर पहुंचाने के लिए वॉल्व खुलता तो है, मगर यदि ये सही से बंद न हो पाए या थोड़ा हिस्सा खुला रह जाए तो पेट के द्वारा खाने को पचाने के लिए बनाया गया एसिड पेट के बाहर निकल जाता है और सीने के हिस्से में पहुंच जाता है। ये स्थिति कभी कभार हो तो एसिडिटी (Acidity) कहलाती है। मगर यदि यही बार-बार हो, तो एसिड रिफलक्स डिजीज (acid reflux disease) कहलाती है। इसी बीमारी को गैस्ट्रोएसोफेगल रिफलक्स डिजीज (gastroesophageal reflux disease ) या GERD कहते हैं। ये समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।
छोटे बच्चों को “एसिड रिफलक्स“ से कैसे बचाएं?
- दूध पिलाने के बाद बच्चे को तुरंत लिटाएं नहीं।
- अगर बच्चे को लिटा रहे हैं, तो थोड़े समय के लिए सिर को उंचा करने के लिए तकिया लगा दें।
- दूध पिलाने के बाद बच्चे को कम से कम 30 मिनट तक गोद में लेकर सीधा रखें, ताकि एसिड पेट से बाहर न निकल पाए।
- बच्चे को जितनी भूख हो उतना ही दूध पिलाएं या खाना खिलाएं। ज्यादा खाने या पीने से भी एसिड रिफलक्स की समस्या हो सकती है।
थोड़े बड़े बच्चों में “एसिड रिफलक्स“ को कैसे रोकें?
- बच्चों को खाने के बाद कम से कम 2 घंटे तक सोने या लेटने न दें। रात का खाना जल्दी खिलाएं, ताकि बच्चे खेलते रहें या बैठें।
- बच्चों को दिन में 3 बार ज्यादा-ज्यादा खिलाने से बेहतर है कि आप थोड़ा-थोड़ा सा खाना दिन में कई बार में खिलाएं।
- इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा अपनी जरूरत या उम्र से ज्यादा न खाए।
- हाई फैट, फ्राइड और मसालेदार भोजन, चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक आदि
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