पृथ्वी पर ही नहीं मंगल ग्रह पर भी अक्सर आते रहते हैं भूकंप
वाशिंगटन,VON NEWS: “मंगल ग्रह” पर भी अक्सर भूकंप आते रहते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता बहुत कम होती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रोबोटिक लैंडर ‘इनसाइट’ की जांच में लाल ग्रह पर 450 से अधिक भूकंपीय संकेतों का पता चला है। बता दें कि मंगल ग्रह की सतह के निचले हिस्से का गहराई से अध्ययन करने के उद्देश्य से ‘इनसाइट’ को नवंबर 2018 में लाल ग्रह पर भेजा गया था।
“‘इनसाइट’” के प्रमुख खोजकर्ता ब्रूस बैनर्ड्ट ने कहा कि सबसे बड़े भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर चार थी। यह तीव्रता ग्रह के निचले हिस्से तक पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं थी। ‘नेचर जियोसाइंस एंड नेचर कम्युनिकेशन’ में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि मंगल ग्रह पर ना केवल भूकंप आते हैं बल्कि धूलभरी आंधी और अजीब तरह के चुंबकीय कंपन भी होते रहते हैं।
खोज के दौरान भूकंप का पता लगाने के लिए सेस्मोमीटर, हवा के दबाव को मापने के लिए सेंसर के साथ ही ग्रह के तापमान को जानने के लिए ऊष्मा के प्रवाह का प्रयोग किया गया था। बता दें कि “भूकंपीय” तरंगे उन सभी चीजों से प्रभावित होती हैं, जिनसे वे गुजरती हैं। माना जा रहा है कि इस नई खोज से वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
नासा ने कहा कि इस नई खोज से यह समझने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी सहित सभी चट्टानी ग्रह सबसे पहले कैसे बने? बता दें कि 2019 अंत तक इनसाइट मंगल ग्रह पर एक दिन में दो “भूकंपीय” संकेत भेज रहा था। हालांकि वैज्ञानिकों को अभी भी उम्मीद है कि उन्हें बड़े भूकंप के संकेत मिल सकते हैं। खास बात यह है कि मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह टेक्टोनिक प्लेट नहीं है, लेकिन ज्वालामुखी रूप से सक्रिय क्षेत्र जरूर हैं।
तेजी से गर्म और ठंडा हो सकता है मंगल
“‘इनसाइट’” लैंडर ने मंगल ग्रह के मौसम के पैटर्न के बारे में कई बातें बताई हैं। प्रकाशित शोध में कहा गया है कि मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तुलना में तापमान में उतार-चढ़ाव का तेज अनुभव होता है।
अमेरिका स्थित कोर्नेल “यूनिवर्सिटी” के डॉन बैनफील्ड ने कहा, मंगल ग्रह का वायुमंडल इतना पतला है कि यह पृथ्वी के मुकाबले तेजी से गर्म और ठंडा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि लैंडिंग के लगभग एक महीने बाद इनसाइट को एक बड़े धूल के तूफान का सामना करना पड़ा था।
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