रंग लाया विंग कमांडर अनुपमा जोशी का संघर्ष,
देहरादून,VON NEWS; सेना में “महिलाओं के स्थायी कमीशन का रास्ता साफ हो गया है। इस सपने को कहीं न कहीं दून निवासी विंग कमांडर (सेनि) अनुपमा जोशी ने पंख दिए। महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की उनकी लड़ाई अब मुकाम तक आ पहुंची है।
अनुपमा जोशी देश की उन महिला ऑफिसर्स में शुमार हैं, जिन्होंने 1993 में भारतीय एयरफोर्स ज्वाइन की थी। वायुसेना में महिला अधिकारियों का यह पहला बैच था। इसके बाद वह अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर आगे बढ़ती रहीं। पांच साल की सर्विस के बाद आवाज उठाई तो उन्हें तीन साल और फिर तीन साल का एक्सटेंशन मिला। हर बार टुकड़ों में मिल रहे एक्सटेंशन से वह खिन्न आ गईं। वर्ष 2002 में उन्होंने इसके लिए अपने सीनियर अधिकारियों से लिखित में जवाब मांगा।
यहां से कोई जवाब न मिलने पर चीफ को पत्र लिखकर जवाब मांगा। कहीं से कोई जवाब नहीं आया तो फिर उन्होंने इसके लिए कोर्ट में मुकदमा करने की ठान ली। 2006 में उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने इस केस की सुनवाई में नई भर्तियों को स्थायी कमीशन देने का फैसला दिया, लेकिन सेवारत महिला अधिकारियों का फैसला नहीं हो पाया। 2008 में वह रिटायर हो गईं, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा। इस बीच कुछ अन्य अधिकारियों ने भी सेना में तैनात महिलाओं को स्थायी कमीशन देने को मामला दायर किया। इस पर हाईकोर्ट ने महिला अधिकारियों के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया।
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